वैसे तो भारत में कई ऐसी बदनाम गलियां हैं जहां हर रात महिलाओं के जिस्म की मंडी सजती है लेकिन अब जिस्मफरोशी के इस धंधे में मर्द भी उनसे ज्यादा पीछे नहीं हैं.
जी हां, इन पुरुष सेक्स वर्कर्स को दूसरे शब्दों में जिगोलो कहा जाता है.
एक सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक साल 1992 महज 27 फीसदी सेक्स वर्कर ही कंडोम का इस्तेमाल करते थे लेकिन साल 2011 में यह आंकड़ा बढ़कर 86 फीसदी तक पहुंच गया. इस रिपोर्ट के मुताबिक जितनी तेजी से मर्दों की जिस्मफरोशी का करोबार बढ़ रहा है उतनी ही तेजी से उनमें एड्स से संबंधित जानकारियां भी बढ़ रही हैं.
मर्दों की जिस्मफरोशी –
दिल्ली में हर रोज सजती है जिगोलो की मंडी
देश की राजधानी दिल्ली में मर्दों के जिस्म का कारोबार तेजी से फैल रहा है. आलम तो यह है कि शॉर्टकट में जल्दी पैसा कमाने की होड़ में डिग्री कॉलेजों के लड़के जिस्म के कारोबार में लिप्त हो रहे हैं.
दिल्ली के कई वीवीआईपी इलाकों में जब सड़के सुनसान होती हैं तब मर्दों की जिस्मफरोशी शुरू होती है. मंडी हर रात 10 बजे से लेकर तड़के सुबह 4 बजे तक सजती है. इन युवा जिगोलो के जिस्म का सौदा करनेवाली अमीर घराने की महिलाएं होती हैं.
जिगोलो को बुक करने का काम क्लब, पब और कॉफी हाउस से भी होता है. जहां कुछ घंटों के लिए जिगोलो की बुकिंग 1800 से 3000 रुपये और पूरी रात के लिए 8000 रुपये तक में होती है. इसके अलावा अच्छी पर्सनैलिटी और सिक्स पैक्स ऐब वाले जिगोलो को 15 हजार रुपये तक की कीमत अदा की जाती है.
अपने जिस्म की सौदेबाजी को दिल्ली के कई युवा अपना प्रोफेशन बना चुके हैं तो कई अपनी लक्जरी जरूरतों को पूरा करने के लिए इस दलदल में फंस रहे हैं.
आपको बता दें कि दिल्ली में करीब 20 एजेंसियां हैं जो जिगोलो की सप्लाई करती हैं. जिगोलो का यह ट्रेंड राजधानी दिल्ली, मुंबई और चंडीगढ़ जैसे कई शहरों में तेजी से बढ़ रहा है.
महिलाएं जिगोलो से बनाती हैं अपनी रातें रंगीन
मर्दों की जिस्मफरोशी का सबसे ज्यादा इस्तेमाल समाज की अमीर घराने की ऐसी महिलाएं करती हैं जो या तो उम्रदराज होती हैं या फिर विधवा. इनमें ऐसी कामकाजी महिलाएं भी शामिल हैं जिन्हें घर पर अपने पति से सुख नहीं मिलता है. ऐसी महिलाएं जिगोलो की मदद से ना सिर्फ अपने हवस की प्यास बुझाती हैं बल्कि अपनी रातें भी रंगीन बनाती हैं.
राजधानी की सड़कों पर रात के अंधेरे में जिगोलो अपने गले में पट्टा बांधकर खड़े हो जाते हैं. क्योंकि जिगोलो की डिमांड उसके गले पर बंधे पट्टे पर निर्भर करती है. इनकी पहचान हाथ में लाल रुमाल गले में काले रंग का पट्टा और सफेद शर्ट से होती है. ये जिगोलो बड़े-बड़े पब, डिस्को और कॉफी हाउस में बैठकर अपने ग्राहकों की तलाश करते हैं.
गौरतलब है कि पहले जहां सिर्फ पुरुष ही अपनी हवस की प्यास बुझाने के लिए वेश्याओं के बदनाम गलियों में जाया करते थे. वहीं अब महिलाएं भी पुरुषों के नक्शे कदम पर चलते हुए पुरुष वेश्याओं को पैसे देकर अपनी शारीरिक जरूरतों को पूरा करने लगी हैं. यही वजह है कि राजधानी समेत देश के कई शहरों में मर्दों की जिस्मफरोशी का कारोबार तेजी से बढ़ रहा है.
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