आज की युवा पीढ़ी की नग्नता की तरफ क्यों बढ़ रही है? आँखें खोलनेवाला सत्य!
आज की युवा पीढ़ी दिन-ब-दिन नग्नता की ओर बढ़ते जा रहा है.
युवाओं के कपडे पहनने और जीवन जीने का तरीका बदलता जा रहा है.
युवाओं के इस बदलाव से बुजुर्ग वर्ग को अपनी संस्कृति और पहचान का पतन समझ रहे है और परेशान है. उनको युवाओं के कम कपडे और रहन सहन देखकर लगता है कि उनकी भारतीय संस्कृति दागदार होती जा रही है और नई पीढ़ी पतन की तरफ आगे बढ़ रही है.
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि युवा पीढ़ी की नग्नता की तरफ क्यों जा रही है? क्यों चाहकर भी भारतीय अपनी संस्कृति की रक्षा नहीं कर पा रहे है.
तो आइये जानते है युवा पीढ़ी की नग्नता की तरफ क्यों जा रही है !
हर देश की संस्कृति की शुरुआत शुन्य से हुई थी. अर्थात जब इंसान का जन्म और जीवन की प्रारंभिक अवस्था की बात करते हैं तो सबसे पहले आदि मानव की छबि सामने आती है.
आदिमानव नग्न रहते थे. उनको कपडे का ज्ञान नहीं था. कच्चा भोजन खाते थे. उनको सही गलत की समझ नहीं थी. यह हर देश में मानव की प्रारंभिक स्थिति यही थी.
बाद में मानव विकसित हुआ. धीरे धीरे वस्तु निर्माण हुई और इंसान भोग- विलास के साधन निर्मित करने लगा, नए तरह के कपडे बनाने लगा और धारण करने लगा.
जीवन में परिवर्तन आने लगा. वक़्त बदलता रहा और वस्तु उपभोग साधन भी बदलते रहे. इसके साथ पहनावा भी बदलने लगा.
एक वक़्त ऐसा आया, जहाँ लोग संचार साधन की वजह से एक दुसरे के संपर्क में आये और एक दुसरे की संस्कृति को स्वीकार करने लगे. उनकी वेशभूषा और परिधान को अपनाने लगे.
इस समय इंसान की सोच समझ और दिमाग इतना विकसित हो गया कि उनको अपने स्वयं की परवाह होने लगी. इंसान समूहवादी से व्यक्ति बन गया और अपनी पसंद के तौर तरीके व कपडे धारण करने लगा. यहाँ से संस्कृति अपने मध्य अवस्था में आ गई है.
अब मानव संस्कृति वापस उसी दिशा में आगे बढ़ रही है, जहाँ से प्रारंभ हुई थी. उस तरफ जा रही है जब वह कपडे नहीं पहनता था.
वास्तव में आज जिसको हम अपनी संस्कृति मानकर युवा पर थोपना चाहते है, वह भी समयनुसार परिवर्तित की हुई परिधान है. ये वक़्त पहले भी परिवर्तन से गुज़रा है र आज भी परिवर्तन से गुजर रहा है.
परिवर्तन का यह चक्र आगे बढ़ रहा और अंत में वही जाकर रुकेगा, जहाँ से इसका प्रारंभ हुआ था – लोग बिना कपडे के रहते थे.
आज भी मानव धीरे धीरे कपडे पहनना छोड़ रहा है, कच्चा भोजन करना अच्छा मानता है और रहन सहन अव्यवस्थित हो रहा है. नौकरी की तलाश में घुमक्कड़ जीवन गुजार रहा है.
अब मानव फिर से अपने प्रारंभ अवस्था की ओर बढ़ते जा रहा है. संस्कृति चक्र जहाँ से शुरू हुआ वही वापस लौट रहा है. इस कारण आज की युवा पीढ़ी नग्नता की तरफ बढ़ रही है. अपनी नग्न अवस्था की तरफ बढ़ रहा है .
यह संस्कृति चक्र का क्रम है, जो आगे बढ़ रहा है.
युवा पीढ़ी की नग्नता की तरफ बढ़ते हुए अपनी प्रारम्भिक संस्कृति में मिलने की कोशिश कर रही है. इसलिए युवा पर दोषारोपण करना सही नहीं.