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दाढ़ी और मूंछ में छुपी है आपकी पहचान

रणवीर सिंह, मिर्ज़ा ग़ालिब और शिवाजी महाराज में समान क्या है?

ठीक है! ज्यादा दिमाग दौडाने की ज़रुरत नहीं है! मैं इस प्रश्न का उत्तर खुद दिए देता हूँ.
जवाब है उनकी ‘दाढ़ी’. कुछ लोगों को पसंद आती है और कुछ को नहीं. जिनको पसंद आती है वे अपनी दाढ़ी से बेहद प्यार करते हैं(स्त्री लिंग अपवर्जित) और जिनको पसंद नहीं आती उन्हें दाढ़ी नहीं आती.
इस पोस्ट में आपके कुछ सवालों का जवाब दिया जाएगा.
कुछ ऐसे सवाल जिनका कोई महत्व नहीं लेकिन हम फिर भी उनका जवाब देने के लिए हाज़िर हैं.
तरह-तरह की दाढ़ियाँ रखने वाले लोगों की मनोवृत्ति और व्यक्तित्व का अनुमान लोग क्या लगाते हैं.

१. बर मूंछ (handle bar mustache)-शाही खानदान से तालुक्कात

भारत में बर मूंछें शान का प्रतीक होती हैं. बर मूंछों को तो स्वयं शिवाजी और महाराणा प्रताप जैसे महान शूरवीरों ने अपनाया था. लेकिन रणवीर सिंह और शिखर धवन जैसे लोगों की बदौलत बर मूंछों की लोकप्रियता एकदम से बढ़ गयी है.

२. सोल पैच- शरीर २१वी सदी में लेकिन दिल १९९० के दौर में.

सोल पैच आमिर खान पर ‘दिल चाहता है’ में बखूबी जची थी.
लेकिन आज के दौर में किसी को सोल पैच के साथ देखना बहुत मुश्किल हो चुका है.

३. गलमुच्छा (sideburns)- अंग्रेज़ की औलाद

गलमुच्छा अंग्रेजी जनरलों और सिपाहियों में काफी प्रसिद्ध था. एक तरह से यह अंदाज़ उनकी पहचान बन गया था. गलमुच्छा, भारत में अंग्रेजों और एल्विस प्रेस्ली का प्रतीक बनकर रह गया है.

४. ठोड़ी पट्टा (chin straps)- कपटी कहीं का!

ठोड़ी पट्टा कपटियों का प्रतीक हो सकता है. हमारे माननीय हनी सिंह जी इस अंदाज़ को अपनाते हैं! इसके आगे कुछ बोलने की ज़रुरत है क्या?

५. मूंछ (mustache)- आम आदमी

इस देश के अरविंद केजरीवालों(आम आदमियों) की पहचान, मूंछ, हमेशा से सदाबहार रही है और रहेगी.
अनिल कपूर से लेकर महाभारत के कर्ण तक इसको अपनाते रहे हैं.

६. पूरी दाढ़ी(full beard)- बैरागी.

अमरीका में भले यह ‘कूल लुक’ के तौर पर जाना जाता हो पर यहाँ……मुझे नहीं लगता!
“अगर आपका हरिद्वार या हृषिकेश जाकर लोगों की तिथियाँ कराने का मंसूबा है तभी आप पूरी दाढ़ी रखना पसंद करेंगें” ऐसी चीज़ें पड़ोसियों के मुह से सुनने में आ सकती हैं. लेकिन पूरी दाढ़ी सबपर जचती है.

७. कुच्ची दाढ़ी(goatee)- जवानी छटती ही नहीं

लोग इसे रखते हैं ताकि ४०-५० साल की उम्र में ज़रा से मॉडर्न लगें लेकिन लोग व्यंग करना कहाँ छोडने वाले हैं? कुच्ची दाढ़ी को कई विदेशी कलाकारों ने अपनाया है. जैसे ब्रैड पिट!
लेकिन जितने अच्छे ब्रैड पिट ‘गोटी’ के साथ लगते हैं उतने अच्छे सलमान खान नहीं. “सत्यवचन”

८. साफ़ मुंडा (clean shaven)- “एकदम” सभ्य मानस

माओं की पसंद, पड़ोसियों की जलन, शानो शौकत के परेह…पेश है साफ़ मुंडा अंदाज़!
सबके हिसाब से अपना चेहरा साफ़ रखना पसंद करने वाले लोग ही सबसे सभ्य होते हैं.
लेकिन हमें हमेशा याद रखना चाहिए कि अग्निपथ का ‘कांचा चीना’ भी साफ़ मुंडा था!!!

मेरा सवाल है कि अगर एक आदमी को दाढ़ी आती है तो किसी कारण से ही आती है.
उसे रखने या अपनाने में कोई हर्ज़ नहीं. लोग तो बक-बक करना नहीं छोड़ेंगे.
वह गाना है ना….
“कुछ तो लोग कहेंगे
लोगों का काम है कहना
छोड़ो, बेकार की बातों में
कहीं बीत ना जाए रैना.”

Durgesh Dwivedi

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Durgesh Dwivedi

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