भिक्षावृत्ति देश के लिए ही नहीं बल्कि किसी सभ्य समाज के लिए भी कलंक है. लेकिन भारत में ये समस्या कम होने के बजाए दिनोंदिन बढ़ती ही जा रही है.
आप सुबह सुबह घर से चाहे मंदिर, मस्जिद या गुरूद्वारे के लिए निकले अथवा काम के सिलसिले में बाहर, आपको हर जगह एक ही आवाज सुनने को मिलती है – अल्लाह के नाम पर दे दे – बाबा के नाम पर देदे. जैसे जैसे हम रेलवे स्टेशन, बस स्टैण्ड या बाजार की ओर बढ़ते हैं और यह स्वर और तेज होता जाता है.
देश के प्रमुख चौराहों और सड़कों का यह इस दृष्य को देखकर लगता है कि मानों भारत एक भिखारियों का देश है.
जिस देश में दान की एक बड़ी गौरवशाली और अद्वितीय परमपरा रही हो उस देश में अगर लाखों लोग सुबह सुबह सड़को पर भीख मांगने के लिए निकल पड़े तो आप स्वय ही अंदाजा लगा सकते हैं कि परिद्रश्य कैसा होगा.
एक ऐसा द्रश्य जिसे न तो कोई देश से आने वाला सैलानी देखना पंसद करेगा और न ही हम भारत के लोग.
कल्पना कीजिए जब हम अपने देश की सड़कों के चैराहों पर उधर नजर दौडाते हैं तब हमको कुछ भिखारी डब्बे, बर्तन जैसे कटोरा लिए नजर आते हैं. ये सामाजिक बुराई अब एक लाइलाज गंभीर रोग बनता जा रहा हैं.
भिखारी दिन में कमाता हैं और रात में मस्ती कर सारा पैसा उड़ा देता है. बिना मेहनत किए ही जब मौज मस्ती के लिए पैसा आसानी मिल जा रहा है तो कामचोर लोगों में इसके प्रति रूझान भी बढ़ रहा है।
यही वजह है कि भीख मांगना आज एक प्रकार का धंधा बन गया हैं.
धंधा बनने से इसमें कुछ गिरोहों भी सक्रिय हो गए हैं, जो इसको संगठित रूप देकर लोगों से भीख मंगवाने का कार्य कर रहे हैं. इस गिरोह में अपंग लोगों और बच्चों का भी खूब इस्तेमाल किया जाता है. गिरोह में शामिल लोग बच्चे का अपहरण कर उनसे भीख मंगवाते हैं.यदि बच्चे भीख नहीं मांगते हैं तो उन्हें मारा पीटा जाता हैं. बच्चो का अपहरण कर उन्हें विकलांग बनाकर उनसे भीख मंगवाई जाती हैं. दरअसल, यह एक बिना पूंजी का धंधा हैं, जिसमें बिना कोई पैसा लगाए पैसा कमाया जाता हैं ।
हालांकि सरकार ने इसे कानूनन अपराध घोषित कर रखा हैं फिर भी यह लाइलाज बीमारी दिन पर दिन बढ़ती ही जा रही हैं.
लेकिन इन तमाम बातों के अलावा भिक्षावृत्ति भारत के माथे पर ऐसा कलंक है जो हमारे आर्थिक तरक्की के दावों पर सवाल खड़ा करता है. भीख मांगना कोई सम्मानजनक पेशा नहीं बल्कि अनैतिक कार्य और सामाजिक अपराध है। खासकर जब किसी गैंग या माफिया द्वारा जबरन बच्चों, महिलाओं या किसी से भी भीख मंगवायी जाती है तब यह संज्ञेय कानूनन अपराध की श्रेणी में आ जाता है.
लिहाजा अब समय आ गया है कि भीख मांगने को जिस प्रकार गिरोह बनाकर संगठित रूप से अंजाम दिया जा रहा है उसको देखते हुए अब इन भिखारियों पर सख्ती किए जाने की आवश्यकता है. निकम्मे और कामचोर बने बैठे इन भिखारियों को किसी न किसी काम में लगाए बिना देश का कल्याण संभव नहीं है. सामाजिक चेतना को बढ़ावा देने साथ साथ बेरोजगारी, गरीबी, आदि के उन्मूलन के अलावा इसके निवारण के लिए सरकार को भिखारियों के गिरोहों के खिलाफ कड़ी कारवाई करनी चाहिए.
भारत को भिखारी मुक्त देश बनाने के लिए यंगिस्थान ने एक मुहीम शुरू की है.
हम उम्मीद करते हैं कि हमारा पाठक वर्ग इस मुहीम को घर-घर तक पहुचाने में हमारा सहयोग करेगा. साथ ही साथ हम उम्मीद करते हैं कि यह आवाज सरकार तक पहुंचे ताकि इस दिशा में कोई निर्णायक पहल शुरू हो. आने वाले समय में हम भारत को भिखारी मुक्त देख सकें बस यही यंगिस्थान का सपना है.
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