रामगोपाल और आसाराम को अभी देश भूला भी नहीं था कि बाबा राम रहीम आ गए।
इन बाबाओं ने अपने भक्तों के नाम पर सरकार को हमेशा ही अपने दरवाजे पर माथा टेकने के मजबूर किया। आस्था ने नाम पर राजनेता सिर्फ इसलिए इन बाबाओं के आगे नतमस्तक रहते ताकि चुनावी मौसम में इनके दरबार के वोट फल खा सके। नेताओं का आस्था से ज्यादा वोट से लेना देना होता है।
इसी का फायदा बाबा उठाते हैं।
भारत में ज्यादार बाबा सरकार के समानांतर सरकार चलाने का प्रयास करती है। उन्हें पता है कि यहां अंधे भक्तों के बल पर वो किसी को भी अपने आगे झुका सकता है। सरकार को भी भक्तबल से ज्यादा वोटबल की चिंता रहती है। यही कारण हैं कि सरकार के समान्तर सरकार चलाने से बाबाओं कोई नहीं रोक सकता।
बाबा राम रहीम के गुंडो द्वारा जो नुकसान हुआ उसकी भरपाई उसकी प्रोपर्टी को नीलाम कर किया जा सकता है लेकिन जो जाने गई उसकी भरपाई कैसे होगी। क्या राम गोपाल से लेकर राम रहीम तक ऐसे ही समानांतर सरकार चलाते रहेगें और लोगों को अपनी जान गवाते रहनी पड़ेगी। अगर ऐसा है तो सोशल मीडिया पर यह चर्चा जोड़ो से है कि आने वाले समय में एक बाबा ऐसे भी है जो केंद्र सरकार के समानांतर सरकार चला सकते हैं।
हम बात कर रहे हैं योग गुरु बाबा रामदेव की।
योग से प्रसिद्ध हुए योग गुरु बाबा रामदेव किसी केंद्र सरकार से कम नहीं है। उनका व्यापार आधुनिक भारत की ईस्ट इंडिया कम्पनी है जो धीरे धीरे इतना विस्तार कर लेगी कि केंद्र में बैठी सरकार के बराबर सरकार चलाने का हौसला रख सकती है।
तथ्यों पर गौर करें तो देशी के नाम पर शुरु करने वाले बाबा का हस्तक्षेप हर क्षेत्र में। सरकार ने तो सिक्योरिटी एजेंसी का लाईसेंस देकर अपनी प्रशिक्षित फौज खड़ी करने की अनुमति दे दी है। ऐसे में अगर बाबा को अपने ही गुरु को मारने के केस में सजा मिलती है तो क्या वह और उनकी फौज शांत बैठेगी।
योग गुरु बाबा रामदेव की सिक्योरिटी एजेंसी ‘पराक्रम सुरक्षा प्राईवेट लिमिटेड’ के गार्डस को सेना और पुलिस के रिटायर्ड अधिकारी सुरक्षा देंगे। सेना और पुलिस के अधिकारी से ट्रेनिंग पाकर क्या ये पुलिस और सेना का मुकाबला नहीं कर सकते। सोशल मीडिया पर उठते इन सवालों को शायद अभी हल्के में लिया जा रहा हो लेकिन आने वाले समय में यह सवाल किस ओर करबट लेती है यह कहा नहीं जा सकता।