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याकूब मेमन हो या गुजरात के अपराधी सब है सजा के अधिकारी, उनको बचाना अपने आप में है अपराध

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कोई आशा नहीं कि इनमें से एक भी सवाल का जवाब मिलेगा, शोर मचाने वाली और खुद का फायदा देखकर रंग बदलने वाली इस तथाकथित बुद्धिजीवियों और मानवाधिकारियों की भीड़ हमेशा से ही सवालों से कन्नी काटती रही है.

अब कुछ कारण जिनके लिए याकूब को फांसी दी जानी चाहिए

पहला – हर तरह से वो भी उन 257 लोगों की मौत का जिम्मेदार है जितना की टाइगर. साजिश का न सिर्फ पता था अपितु उसने मदद भी की थी.

दूसरा – याकूब की फांसी D कंपनी के लिए झटका होगी.

तीसरा – अगर याकूब को फांसी नहीं होती तो ये उन सब पीड़ितों के साथ नाइंसाफी होगी और कानून भरोसे के लायक नहीं रह जाएगा.

चौथा – अपराधियों में खौफ पैदा होगा अगर याकूब को फांसी होती है तो, जब फांसी के नाम से अफज़ल और कसाब जैसे ढीले हो गए थे और रोने लगे थे तो याकूब क्यों नहीं.

पांचवा – याकूब की फांसी से दुनिया में ये सन्देश जाएगा की भारत भी मज़बूत देश है और वो भी अपराधियों को कड़ी सजा दे सकता है.

याकूब मेमन सिर्फ एक प्रतीक है, याकूब की तरह ही 84 के दंगे हो या गुजरात सभी को सजा मिलनी चाहिए.

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फांसी से कम कोई भी सजा इन जैसे अपराधियों के लिए फूलों की सेज ही तो होगी. खासकर के जैसी न्याय प्रणाली और जेल में भ्रष्टाचार भारत में है वैसे हालातों में

अगर ये कारण भी काफी नहीं है समझने के लिए तो शायद आपको तभी समझ आएगा जब फिर से कोई ऐसा ही धमाका होगा और सिर्फ बचेंगे आप अपने परिवार,साथियों,बच्चों की जली अधजली लाश के पास अपने उजड़े आशियाने को ताकते हुए.  

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