याकूब मेमन फिर से सुर्ख़ियों में है….
अब ये मत कहना कि कौन याकूब मेमन.
हमारी मीडिया और महान लोगों का धन्यवाद कि याकूब अब किसी परिचय के मोहताज़ नहीं है.
याकूब मेमन, मुंबई बम धमाकों के प्रमुख अभियुक्त टाइगर मेमन का छोटा भाई.
याकूब को 2007 में तत्कालीन टाडा कोर्ट ने फंसी की सजा सुनाई थी, उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी सजा बरकरार रखी और 2013 में राष्ट्रपति ने भी माफ़ी की अर्ज़ी खारिज़ कर दी.
फांसी का दिन निश्चित हुआ 30 जुलाई 2015 .
जिस दिन ये दिन घोषित हुआ उसी दिन से अचानक याकूब की फांसी को गलत ठहराने वालों की बाढ़ सी आ गयी.
कोर्ट के पूर्व जज, रॉ के पूर्व अधिकारी, समाजसेवक यहाँ तक की सेलेब्रिटी भी.
2007 में बी रमण का लिखा एक अप्रकाशित पत्र जब हाल ही में एक वेबसाइट पर प्रकाशित हुआ तो ये हंगामा और भी बढ़ गया.
याकूब की माफ़ी चाहने वालों का कहना है कि वो एक संधि/समझौते के तहत भारत आया था इसलिए उसे अब फांसी देना गलत है.
वहीँ कुछ लोग तो इस से भी आगे जाकर कहते है कि याकूब का इन धमाकों में कोई प्रत्यक्ष हाथ नहीं था और वो बेक़सूर है.
अगर ये सब भी काफी नहीं तो आगे सुनिए कुछ स्वयम्भू महान बुद्धिजीवी और घृणा पर अपनी रोज़ी रोटी चलाने वाले लोगों का तो ये भी कहना है कि याकूब को फांसी इसलिए दी जा रही है क्योंकि वो मुसलमान है.
चलिए मान लेते है इन सबकी ये सब बातें सही है फिर कुछ सवाल उठते है जेहन में जिनका जवाब भी इन लोगों को ही देना चाहिए न