पीरियड्स में पूजा – वैसे तो आज हम 21वीं सदी में जी रहे हैं लेकिन आज भी हम पुराने रीति-रिवाज़ों का पूरा निष्ठा से पालन करते हैं।
हमारे विचार सदियों बाद भी हमारे समाज के अनुरूप हैं। हम आज भी ऐसे कई अंधविश्वासों को मानते हैं जिनके कारण स्त्री को बहुत कष्टों का सामना करना पड़ता है।
आज हम आपको ऐसे ही कष्टों के बारे में बताने जा रहे हैं जो आज भी स्त्रियां सह रही हैं। नारी को सबसे पवित्र माना जाता है और इसी वजह से गंगा और तुलसी को पवित्र माना जाता है। एक नारी ही है जो हमारे वंश को आगे बढ़ाने का काम करती है। अगर नारी नहीं होती तो आज इस संसार का निर्माण हो पाना मुश्किल था।
स्त्रियों को लेकर फैली सबसे ज्यादा कुरीतियों में उनकी माहवारी को लेकर बनाए गए नियम हैं।
जब कभी भी किसी लड़की को मासिक धर्म आना शुरु होता है तो उसके पूरे घर में अजीब सा माहौल बन जाता है। ऐसे में लड़कियों को छूआछूत की बीमारी से पीडित होने की तरह व्यवहार किया जाता है। जब किसी लड़की को पहली बार पीरियड्स आते हैं तो उसे हिदायत दी जाती है ज्यादा भागदौड़ ना करने की, किसी अचार को हाथ ना लगाने की, सब्जियां जहां आपने उगा रखी हैं वहां ना जाने की और मंदिर से दूर रहने की।
अगर कोई महिला शादीशुदा है तो उसे पीरियड्स के दौरान बहुत मुश्किलें झेलनी पड़ती हैं। उसे किसी भी तरह के शुर्भ कार्य में शामिल नहीं किया जाता है जैसे कि इस दौरान वह अपने परिवार के साथ किसी पूजा या अनुष्ठान में शामिल नहीं हो सकती है। इसी तरह उसे मंदिर में पूजा-पाठ करने से भी मना कर दिया जाता है।
आखिर मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को पीरियड्स में पूजा करने या शुभ कार्यों में शामिल होने से क्यों रोका जाता है।
हम सभी ईश्वर की रचना हैं और जो भी हमारे शरीर के अंदर बदलाव होत हैं वो सब भगवान की ही देन हैं। महिलाओं की माहवारी भी प्रकृति की देन है। अगर महिला के अंदर यह क्रिया नहीं होती तो शायद वह कभी मां नहीं बन पाती है। किसी स्त्री का मां बनना उसके मासिक धर्म से ही जुड़ा होता है।
अब आप ही बताइए जो चीज़ खुद भगवान ने हमें दी है उसी से हम कैसे अपवित्र हो जाते हैं और ईश्वर की आराधना नहीं कर सकते हैं।
अगर पीरियड किसी महिला को नहीं आते तो वह मां नहीं बन पाती और यह समाज उसे बांझ कह कर उसे ताने मारता और कई बार इंसानों से परेशान होकर महिलाएं आत्महत्या तक का कदम उठा लेती हैं और एक तरह समाज ये कहता है कि अगर किसी महिला को पीरियड्स आते हैं तो वो अपवित्र हो जाती है और ऐसे में उसे भगवान से दूर रहना चाहिए।
पीरियड्स में पूजा ना करने देना एक अंधविश्वास है – ये अंधविश्वास हमारे दिमाग में अपनी जड़ें इतनी ज्यादा मजबूत कर चुका है कि इसके गलत या सही होने पर हम गौर ही नहीं देते। बचपन से लड़कियां इस नियम का पालन करते हुए आ रही हैं और ऐसे में उन्हें लगता ही नहीं है कि कुछ गलत हो रहा है।