आजकल जितनी जल्दी रिश्ते बनते हैं उससे ज्यादा जल्दी रिश्ते टूटने लगे हैं। आज हम आपको दुनिया के सबसे महंगे तलाक के बारे में बताने जा रहे हैं।
विश्व के सबसे महंगे तलाक के मामले में एक सुपर याच (एक आलीशान सर्वसुविधायुक्त विशाल जहाज़) मोहरा बन गया है। रूसी दंपत्ति के बीच 54 करोड़ा डालर यानि 35 सौ करोड़ रुपए के याच को लेकर कानूनी लड़ाई चल रही है।
फिलहाल इस याच को दुबई सरकार ने अपने कब्जे में रख रखा है। अदालत के दस्तावेज की मानें तो रूसी अरबपति फर्कद केमीदॉव के पारिवारिक ट्रस्ट को अपील का अधिकार मिल गया है जिससे वह इस पर अधिकार को लेकर लड़ाई कर सकते हैं।
सूत्रों की मानें तो याच में दो हैलिपैड और दुनिया का सबसे बड़ा स्वीमिंग पूल है। दुबई के इंटरनेशनल फाइनेंशियल सेंटर कोर्ट ने ट्रस्ट को ये अधिकार दिया है। वहीं एक ब्रिटिश अदालत ने फैसला दिया है कि ऑयल व गैस कारोबारी के दिग्गज केमीदॉव अपनी पत्नी टेटियाना केमीदॉव को तकरीबन 56 करोड़ डॉलर अदा करेंगें।
ब्रिटिश मीडिया के अनुसार इसे दुनिया का सबसे महंगा तलाक बताया गया है। वहीं फोर्ब्स की मानें तो केमीदॉव की संपत्ति 1.4 अरब डॉलर है और अमेरिकी ट्रेजरी ने उसे रूसी राष्ट्रपति पुतिन का सबसे करीबी करार देते हुए प्रतिबंधित रूसी कंपनियों में शामिल किया था। रूसी दंपत्ति के बीच 54 करोड़ा डालर यानि 35 सौ करोड़ रुपए के याच को लेकर कानूनी लड़ाई चल रही है।
ये तो थी दुनिया के सबसे महंगे तलाक की बात, अब हम आपको इतिहास में तलाक के नियमों के बारे में बताते हैं। आज के समय में तलाक लेने पर पत्नी को गुज़ारा भत्ता देना पड़ता है लेकिन अब ज़रा ये भी जान लें कि भारत के इतिहास में तलाक के क्या नियम थे।
जहांगीर ने भी लगाई थी रोक
20 जून, 1611 को जहांगीर ने बेगम की गैर जानकारी में शौहर द्वारा तलाक दिए जाने पर रोक लगा दी थी। उस दौर में पत्नी द्वारा खुला या तलाक का भी चलन था।
उस दौर में महिलाएं थीं ज्यादा सशक्त
साल 1614 में एक खानसामा की पत्नी ने अपने पति को काज़ी के सामने पेश कर ये बात कबूल करवाने को मजबूर कर दिया था कि अगर अब उसने शराब पी तो वो उससे तलाक ले लेगी और उसके पति के सारे अधिकार जाते रहेंगें।
निकाहनामे के ये थे नियम
उस दौर में निकाहनामे के चार नियम बनाए गए थे जो इस प्रकार थे –
– मौजूदा बीवी के रहते हुए शौहर दूसरा निकाह नहीं कर सकता था।
– बीवी पर शारीरिक अत्याचार नहीं करेगा।
– बीवी से लंबे समय तक शौहर दूर नहीं रहेगा और उसके गुज़र-बसर के पैसों का इंतज़ाम करेगा।
– शौहर पत्नी के रूप में किसी महिला को अपनी दासी नहीं बना सकता है।
शाही परिवार में थे ये अधिकार
वैसे देखा जाए तो आज की तुलना में मुगलकाल में महिलाएं ज्यादा सशक्त थीं और उनके बादशाह महिलाओं के हक के लिए फैसला लेने भी नहीं कतराते थे लेकिन एक बात जो पहले और आज के ज़माने में बिलकुल एक जैसी है और वो है महिलाओं का शोषण। तब भी महिलाओं को शोषण का शिकार होना पड़ता था और आज के हालात से तो आप वाकिफ ही हैं।
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