Categories: प्रेम

वो अलफ़ाज़ जिन्हें पढ़कर इश्क़ को भी इश्क़ हो जाये

इश्क़ … मुहब्बत …. प्यार

और भी ना जाने क्या क्या नाम है. जैसे अलग अलग नाम वैसे ही अंदाज़ ए बयां भी अलग अलग.
आज की दौड़ भाग वाली सुपरफ़ास्ट  जिंदगी में जब प्यार अपने मायने बदल रहा है.

आशिक को समझ नहीं आता के कैसे समझाए माशूक को हाल ए दिल.
ऐसे में ज़रा आजमाकर देखिये इन शायरों के  वो अलफ़ाज़  जिन्हें पढ़कर इश्क़ को भी इश्क़ हो जाये.

साहिर लुधियानवी , गुलज़ार से लेकर ग़ालिब, मज़ाज़ और इब्ने इंशा , कैफ़ी आज़मी और बशीर बद्र जैसे शायर जिनके लिखे लफ्ज़ दिल का हाल बता देंगे खासकर तब जब आप कह ना सके उनसे दिल का दर्द.

इस रात की निखरी रंगत को कुछ और निखर जाने दे ज़रा

नज़रों को बहक जाने दे ज़रा ज़ुल्फ़ों को बिखर जाने दे ज़रा

कुछ देर की ही तस्कीन सही

कुछ देर का ही आराम सही

साहिर

चौदहवीं रात के इस चाँद तले सुरमई रात में साहिल के क़रीब

दूधिया जोड़े में आ जाए जो तू ईसा के हाथ से गिर जाए सलीब

बुद्ध का ध्यान चटख जाए ,कसम से तुझ को बर्दाश्त न कर पाए खुदा भी

दूधिया जोड़े में आ जाए जो तू चौदहवीं रात के इस चाँद तले !

-गुलज़ार

तू किसी और के दामन की कली है लेकिन

मेरी रातें तेरी ख़ुश्बू से बसी रहती हैं

तू कहीं भी हो तेरे फूल से आरिज़ की क़सम

तेरी पलकें मेरी आंखों पे झुकी रहती हैं

-साहिर

तेरे वादे पर जिये हम, तो यह जान, झूठ जाना,

कि ख़ुशी से मर न जाते, अगर एतबार होता ।

-ग़ालिब

एक ज़रा हाथ बढ़ा, दे तो पकड़ लें दामन

उसके सीने में समा जाये हमारी धड़कन

इतनी क़ुर्बत हैं तो फिर फ़ासला इतना क्यों हैं

-कैफ़ी आज़मी

कल चौदहवीं की रात थी शब भर रहा चर्चा तेरा।

कुछ ने कहा ये चाँद है कुछ ने कहा चेहरा तेरा।

हम भी वहीं मौजूद थे, हम से भी सब पूछा किए,

हम हँस दिए, हम चुप रहे, मंज़ूर था परदा तेरा।

-इब्ने इंशा

दिल को क्या हो गया ख़ुदा जाने

क्यों है ऐसा उदास क्या जाने

कह दिया मैं ने हाल-ए-दिल अपना

इस को तुम जानो या ख़ुदा जाने

-दाग देहलवी

ऐसा लगता है ज़िन्दगी तुम हो

अजनबी जैसे अजनबी तुम हो

अब कोई आरज़ू नहीं बाकी

जुस्तजू मेरी आख़िरी तुम हो

-बशीर बद्र

देखना जज़्बे मोहब्बत का असर आज की रात

मेरे शाने पे है उस शोख़ का सर आज की रात

और क्या चाहिय अब ये दिले मजरूह तुझे

उसने देखा तो बन्दाज़े दीगर आज की रात

-मज़ाज़ लखनवी

आगाज़ तॊ होता है अंजाम नहीं होता

जब मेरी कहानी में वॊ नाम नहीं होता

जब ज़ुल्फ़ की कालिख़ में घुल जाए कोई राही

बदनाम सही लेकिन गुमनाम नहीं हॊता

-मीना कुमारी

देखा जिस अहसास को समझाने के लिए लफ्ज़ नहीं मिलते कितनी आसानी से शायरों के ये अलफ़ाज़ बयां कर देते है उस अहसास को जिसे नाम दिया है इश्क़ का .

Yogesh Pareek

Writer, wanderer , crazy movie buff, insane reader, lost soul and master of sarcasm.. Spiritual but not religious. worship Stanley Kubrick . in short A Mad in the Bad World.

Share
Published by
Yogesh Pareek

Recent Posts

दिल्ली दंगे: कांग्रेस की पूर्व पार्षद इशरत जहां दंगे वाली जगह खजूरी ख़ास में आखिर क्या कर रही थीं?

दिल्ली हिंसा में अभी तक 42 लोग अपनी जान गवा चुके हैं 300 से ज्यादा…

5 years ago

नयी भाषा सिखने के ५ सरल तरीके बजट में बना सकते है अगली यात्रा स्वर्णीय

किसी तरह की विदेश यात्रा किसी भी व्यक्ति के लिए बहुत शोभायमान होता हैI विशेषकर…

5 years ago

सेल्फी लेने की आदत को कह देंगे अलविदा, जब जानेंगे इसकी साइड इफेक्ट्स !

आज कल सेल्फी लेने का ट्रेंड काफी ज़ोरों पर है. अगर आप भी सेल्फी लेने…

6 years ago

शादी के बाद इन बातों को किया नज़रअंदाज़, तो हो जाएंगे मोटापे के शिकार !

मोटापा किसी को भी अच्छा नहीं लगता... लेकिन अक्सर यह देखा जाता है कि शादी…

6 years ago