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वो अलफ़ाज़ जिन्हें पढ़कर इश्क़ को भी इश्क़ हो जाये

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एक ज़रा हाथ बढ़ा, दे तो पकड़ लें दामन

उसके सीने में समा जाये हमारी धड़कन

इतनी क़ुर्बत हैं तो फिर फ़ासला इतना क्यों हैं

-कैफ़ी आज़मी

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प्रेम