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बॉलीवुड ने सीखाया लड़की के पीछे पड़ो तभी वो मानेगी

लड़की पटाने के लिए – हम लोगों के बीच पिछले दो दशक से लड़कियों को लेकर कुछ ऐसी कहावतें मशूहर है जिनका ना कोई अस्तित्व है और ना ही कोई परमाणिक तथ्य ।

फिर भी इन कहावतों को इतना ज्यादा महत्तव दिया जाता है । मानों जिसने भी इन कहावतों की शुरुआत की हो उसने पहले लड़कियों पर काफी रिसर्च की हो  और भले ही वक्त बदल जाए लेकिन इन कहावतों की वजह से लड़को के मन में लड़कियों को लेकर पैदा हुई धारणा को शायद ही कोई खत्म कर पाए ।

आज भी गली में चलते हुए लड़के लड़की पटाने के लिए उनका का पीछा इस तरह करते है । जैसे वो कहीं के शहजादे हो ।  लड़कियां सिर्फ पीछा करने से ही पटती है । वो ये भूल जाते है कि इस तरह से किसी को मानसिक तनाव देना कितना खतरनाक हो सकता है  । लड़की भले ही किसी लड़के को पसंद न करती हो  पर अगर वो उस लड़के की बात में हल्का सा मुस्कुरा भी दें । तो लड़के उसे अपना सिगनल समझने लगते है।

वो क्या कहते है लड़की हंसी तो फंसी ?

 फिर भले ही उस लड़की की हंसी का अर्थ कुछ भी हो । लेकिन जब भी इस तरह की बेतुकी धारणाएं प्रचलित होती है तो सवाल उठता है कि ये धारणाएं हमारे बीच आई कहां से इस तरह की कहावतों या यूं कहें गलत मानसिकता वाली लाइनों की शुरुआत की ।

लड़की पटाने के लिए और ऐसी बहुत सारी लड़कियां इस तरह की धारणाओं के लिए बॉलीवुड फिल्मों को जिम्मेदार मानती है

क्योंकि बॉलीवुड की कहानियां जितनी फिल्मी होती है उनका प्रभाव लोगों पर उतना ही ज्यादा पड़ता है । अपने फेवरिट एक्टर एक्टर्स के डायलॉग लोग इस तरह याद कर लेते है मानो वो डायलॉग उन्ही के लिए बने हो । और उस डायलॉग को  फिल्म का मात्र डायलॉग समझने की बजाय उसे लोगों की मानसिकता से जोड़ देते है ।

90 के दशक की लगभग सभी फिल्मों में एक ही तरह की कहानी दिखाई जाती थी। अमीर लड़के या लड़कियां हमेशा सा बिगड़े हुए होते है । गरीब लड़का ही एक अमीर लड़की को सुधार सकता है । और लड़की लड़के को नापसंद करें तो लड़का लड़की का पीछा करने लगता है । उस अपने खून से लिखे लेटर भेजता है । लड़की पटाने के लिए खुद की जान लेने की धमकी देता है । जिसके बाद लड़की थक हारकर लड़के से प्यार करने लगती है । अधिकतर लोगों को आज भी लगता है कि लड़कियों का पीछा करके उनके मेंटली टॉचर करके प्यार करने के लिए मजबूर किया जा सकता है ।

केवल लड़कियां ही नहीं कई लड़के भी इस बात को कबूलते है कि उनकी लड़कियों को लेकर बनी मानसिकता कहीं ना कहीं बॉलीवुड से प्रभावित है और यही कारण है कि कुछ नासमझ लड़के लड़की ना को भी हां समझ लेते है ।

उन्हें ओर ज्यादा परेशान करने लगते है,  क्योंकि लड़को को लगता है कि लड़की आज नहीं तो कल तो मान ही जाएगी ।

फिर शादी हो जाएगी और उसके बाद बच्चे ।लड़के इतने ख्याली पुलाव तभी बना देते है जब लड़की उन्हें जानती तक नहीं होती । क्योंकि सभी बॉलवुड में आज भी इसी तरह की लव स्टोरीज दिखाई जाती है । लड़को की इस मानसिकता के बाद ये अंदाजा लगना मुश्किल नहीं होगा कि अगर उनके सामने से कोई लड़की निकले तो वो उसे देखकर किस तरह की बातें करेंगे ।

हिंदी सिनेमा और भारतीय समाज सिक्के के वो दो पहलू है जो भले ही कभी मिल नहीं सकते हो लेकिन एक दूसरे से अलग भी नहीं हो सकते । हिंदी सिनेमा भारतीय समाज को बदलने का दम जरुर रखता है लेकिन कहीं ना कहीं उसकी कुछ काल्पनिक धारणाएं समाज में  गलत मानसिकताएं भी फैलाती है । जो भले ही डॉयरेक्टर ने मनोंरंजन के माध्यम से लिखी हो । लेकिन ये ध्यान रखना जरुरी है कि दर्शक उस धारणा को केवल मनोरंजन तक ही सीमित रख रहे है या कहीं असल जिंदगी भी लाने की कोशिश तो नहीं कर रहे है ।

Preeti Rajput

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