मुंबई लोकल की विचित्र दुनिया में आपका स्वागत है!
और अगर आप महिलाओं के डब्बे में हैं या ऐसे डब्बे में जहाँ महिलाओं की संख्या काफी ज़्यादा है, तब तो आपका सफ़र बहुत मज़े से कटेगा!
नहीं, इसलिए नहीं कि महिलाओं को गन्दी नज़र से देखने की इजाज़त है आपको, बल्कि इसलिए कि अलग-अलग तरह की, भिन्न-भिन्न प्रकार की मज़ेदार महिलाएं आपको नज़र आएँगी जिन्हें देखकर आप अपनी हँसी रोक ही नहीं पाएँगे!
आईये मुंबई लोकल की महिलाओं के ऊपर से पर्दा हटाऊँ और कुछ मज़ेदार जलवे दिखाऊँ:
1) मेक अप वाली महिला
जी हाँ, ये वो महिला हैं जो अपने समय का सदुपयोग करना अच्छे से जानती हैं! ट्रेन में बैठने के लिए सीट मिले ना मिले, ये अपना मेक अप करने के लिए जगह बना ही लेती हैं! घर पर सौ काम होते होंगे, और शायद सास के आगे सजने-सँवरने का पंगा भी कौन ले, तो इस काम के लिए भारतीय रेल किस दिन काम आएगी?
2) कुली आंटी
अरे नहीं, नहीं, किसी की बेइज़्ज़ती करने का इरादा नहीं है लेकिन कुछ महिलाएँ ऐसी होती हैं जो घर से ढेरों बैग लेकर चलती हैं या शायद शॉपिंग के बाद लोकल में आती हैं! दोनों हाथों में बैग होते हैं और देख कर लगता है शायद दो-चार और भी उठा लेंगी ये लेडी रेसलर!
3) सीट ढूँढने वाली महिला
ये वो महिला हैं जो डब्बे में घुसते ही सीट ढूँढने लगती हैं! हर किसी से पूछेंगी कि आपने कहाँ उतरना है, आपकी सीट मुझे देना, हाँ क्या? और कहीं कोई ग़लती से कह दे कि आपसे पहले उन्होंने ये सीट रोक के रखी है तो चेहरे पर ऐसे भाव आते हैं कि दुनिया भस्म कर देंगी!
4) दुपट्टे– स्कार्फ़ वाली महिला
इन महिलाओं को सूरज देवता से बड़ी नाराज़गी रहती है और इनका आपस में 36 का आंकड़ा रहता है! धुप में तो चेहरे और गर्दन पर दुपट्टा या स्कार्फ़ बाँध के चलती ही हैं, लोकल ट्रेन के गर्म डब्बे में भी दुपट्टा खोलती नहीं! उन्हें देख कर बाकी यात्री पसीने-पसीने हो जाएँ लेकिन पता नहीं वो छाया में भी अपनी त्वचा को किस से बचा रही होती हैं?
5) “ज़बान पर नो लगाम” महिला
जी हाँ, इनका मुँह बंद नहीं होता, चाहे डब्बे में सौ यात्री हों या ये अकेली ही क्यों ना हों! हर विषय पर, हर किसी के बारे में बात करवा लीजिये, जिनसे कोई लेना-देना नहीं है, उनके बारे में भी बात करवा लीजिये, ये सदैव तैयार रहती हैं!
6) कुश्ती वाली महिला
नहीं, ये डब्बे में कुश्ती नहीं लड़तीं लेकिन दाँव-पेंच की कमी नहीं है इनके पास! पूरे सफ़र में तो आराम से बैठी रहेंगी, लेकिन जैसे ही इनका स्टेशन आएगा, ऐसे भागेंगी नीचे उतरने के लिए जैसे कि देश को परमाणु बम से बचाने की ज़िम्मेदारी इन्हें ही दी गयी है! धक्का-मुक्की, इधर कोहनी, उधर लात, सब कुछ आज़मा लेंगी डब्बे से बाहर निकलने के लिए!
7) खाती–पीती महिला
ये वो हैं जिनके लिए मुंबई लोकल की यात्रा किसी पिकनिक से कम नहीं है! पूरा सफ़र इनका मुँह चलता ही रहता है, दांतों और ज़बान को बिज़ी रखती हैं और शायद इन्हीं की वजह से भारतीय रेल का खान-पान विभाग चल भी रहा है!
यार इनके अलावा भी आपको कोई और किस्म की महिला मिली हों तो बताईयेगा ज़रूर! इनका सम्मान करना जायज़ भी है और अत्यंत ज़रूरी भी! है ना?
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