महिला पुलिस आफिसर – महिलाओं को भले ही आज की 21वी सदी में भी केवल बच्चे पैदा करने की मशीन समझा जाता हो. लेकिन कुछ महिलाएं ऐसी भी हैं जिन्होंने लीक से हटकर काम किया है.
आज हम कुछ ऐसे ही महिला पुलिस आफिसर की बात करने वाले हैं जिनसे गुंडे बदमाश भी डरते हैं.
ना ना … हम किरण बेदी की बात नहीं करने वाले हैं. उनको तो पूरा देश जानता है और अब वो आफिसर के बाद नेता भी बन गई हैं तो अब उनके सामने बदमाशों की क्या बिसात.
आज हम किरण बेदी की तरह ही बनी उन महिला पुलिस आफिसर की बात करने वाले ह जिन्होंने देश का मान भी बढ़ाया और जिनका नाम सुनकर गुंडे-बदमाश भी कांप जाते हैं.
महिला पुलिस आफिसर
१ – आईपीएस अधिकारी डी रूपा
इनका नाम आपने इस साल काफी सुना होगा. इन्होंने शशिकला को जेल में मिलने वाली सारी सुविधाओं की पोल खोली थी. दरअसल बेंगलुरु की सेंट्रल जेल में बंद एआईएडीएमके प्रमुख शशिकला को वीवीआईपी ट्रीटमेंट मिल रहा था और इसके बारे में वहाँ मौजूद लगभग सभी आफिसर को इसकी जानकारी थी. यहाँ तक की भ्रष्टाचार के आऱोप में जेल में बंद शशिकला के लिए जेल में अलग से 2 करोड़ की एक किचन बनाई गई है. डीआईजी रूपा ने इसी वीवीआईपी ट्रीटमेंट की पोल खोली और इस ईमानदारी का ईनाम उन्हें तबादले के रुप में मिला मतलब की उनका ट्रांसफर कर दिया गया.
२ – डीएसपी श्रेष्ठा ठाकुर
इन्हें तो किसी पहचान की जरुरत नहीं है. ये हाइट में छोटी हैं लेकिन वहां उन्होंने बड़े बड़े गुंडे बदमाशों का जीना हराम कर के रखा है.
बुलंदशहर के स्याना में तैनात डीएसपी श्रेष्ठा ठाकुर ने केवल हेलमेट ना पहनने के लिए भाजपा नेता का चालान काट दिया. जिसके कारण बुलंदशहर में कचहरी के सामने ही भाजपा नेताओं और श्रेष्ठा ठाकुर के बीच झड़प हो गई. भाजपा के नेता बार-बार केवल ये कहते रहे कि डीएसपी साहिबा आपका व्यवहार अनुचित है, तो डीएसपी साहिबा ने भी नहले पे दहला मारते हुए ये कह दिया कि अगर किसी को आपत्ति है तो वो सीएम साहब से लिखवा कर लाए कि चेकिंग बंद कर दो. वाह! वाह!
३ – अपराजिता राय
कोई इनसे सीखे की अपने नाम का मान रखना. अपराजिता मतलब होता है जो कभी हार नहीं मानता. लकिन ऐसे कम ही लोग होते हैं जो अपने नाम का मान रखते हुए इस पूरे देश का नाम रोशन किया है. इनकी खास बात है कि ये असम की पहली गोरखा महिला IPS बनीं हैं. ये 2012 में UPSC की परीक्षा पास कर ऑफिसर बनी थी और इतने कम समय में ही इन्हें राष्ट्रीय अवॉर्ड से भी सम्मानित कर दिया गया है. अभी फिलहाल ये पश्चिम बंगाल में पोस्टेड हैं, लेकिन इन्हें दार्ज़लिंग पोस्ट किए जाने की ख़बर आ रही है. आपको शायद मालुम हो कि वहां अलग से गोरखालैंड बनाने की मांग की जा रही है जिस पर शायद लगाम लगाने के लिए ही इनकी पोस्टिंग वहां की गई है.
४ – संजुक्ता पराशर
इनकी बहादुरी के तो जितने चर्चे किए जाएं वे कम हैं. इन्हें तो अगर लेडी सिंघम कहकर भी बुलाएंगे तो भी कुछ गलत नहीं होगा। जब इनकी पोस्टिंग असम में थी तब इन्होंने 16 नक्सलवादियों को मौत के घाट उतार दिया था और 64 से ज़्यादा नक्सलियों को गिरफ़्तार भी किया. इनकी बहादुरी और डर के कारण वहां के कई नक्सलियों ने खुद ही असम में सरेंडर भी कर दिया था.
ये है हिम्मती महिला पुलिस आफिसर – तो इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद आप जान गए होंगे कि महिला-पुरुष से फर्क नहीं पड़ता. केवल हिम्मत और नियत होनी चाहिए. इन दोनों चीज अगर आफके पास होगी तो चाहे कोई आफिसर हो या फिर आम इंसान… आने वाले खतरे से आप खुद लड़ सकेंगे और अपना व देश का नाम रोशन कर सकेंगे.