कुछ दिन में हमसब अपनी आज़ादी की 69वीं वर्षगांठ मनाने वाले हैं.
भारत आज दुनिया में एक युवा देश के रूप में आगे बढ़ रहा हैं. हर जगह विकास और उन्नति की बातें हो रही हैं, लेकिन कभी-कभी लगता हैं कि क्या ये सारी बातें सतही तो नहीं? क्या ये आधुनिकिकरण सिर्फ दिखावा तो नहीं. कही ये सब कुछ उपरा-उपरी तो नहीं हैं?
अभी कुछ दिन पहले झारखण्ड राज्य की राजधानी रांची के एक इलाक़ें में ऐसी घटना हुई, जो आज के सभ्य और आधुनिक समाज पर सवाल करती हैं, कि क्या हम सचमुच पुरानी दकयानुसी परम्पराओं से आगे निकल गए हैं और मार्डेन बन गए हैं, या यह सब एक छलावा मात्र हैं? इन सब बातों को कहने के पीछे की वजह उस गाँव में हुई एक हत्या हैं.
रांची से 45 किलोमीटर दूर मंदार इलाक़े के एक गाँव में 5 औरतों की एक रात में एक साथ हत्या कर दी गयी और इस हत्या के पीछे कोई और नहीं बल्कि उसी गाँव के लोग थे. इस हत्या के पीछे गाँव वालों के होने की पुष्टि उन पांच महिलाओं में से एक महिला की बेटी से बात करने पर हो पाई हैं.
उस युवती ने बताया कि इस गाँव के ही एक परिवार में एक बच्चे को कोई बीमारी थी. उस बच्चे के परिवारवालें उसका इलाज करवाने के बजाएं गाँव की पांच औरतों को इस बीमारी की वजह बता रहे थे. परिवारवालो के मुताबिक वो पांच महिलाएं डायन थी, जिसके चलते उनके बच्चे की तबियत बिगड़ी हैं. जब गाँव में रहने वाले बाकि लोगों को इस बात की जानकारी हुई, तो सभी ग्रामीणों ने एक साथ मिल कर उन पांच महिलाओं को खूब मारा फिर उनके कपड़े फाड़ दिए और जब इन सब से भी उनका मन नहीं भरा तो तलवार और लाठी से उन्हें पीठ-पीठ कर उन औरतों की हत्या कर दी.
उस इलाक़ें के प्रशासन और पुलिस ने इस मामलें की पुष्टि तो ज़रूर कर दी हैं लेकिन अभी तक किसी भी अपराधी को पकड़ा नहीं जा सका हैं. पुलिस का कहना हैं कि इस हत्या की जांच शुरू कर दी गयी हैं पर अपराधी के बारे में अभी कुछ भी कहना जल्दबाज़ी होगी लेकिन पहली नज़र में यह लगता हैं कि इस पूरे मामले में किसी बाहरी व्यक्ति का कोई हाथ नहीं हैं, हत्या के पीछे ग्रामीण शामिल थे.
वैसे आपको बता दे कि झारखण्ड में इस तरह डायन के नाम पर औरतों की हत्या पहली बार नहीं हुई हैं.
ऐसे मामलें पहले भी सामने आ चुके हैं. नैशनल क्राइम ब्यूरों की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2011 से 2013 के बीच 400 हत्याएं की गयी जिनकी वजह थी डायन होना. 2000 से 2012 के बीच पुरे देश में इस कुप्रथा के चलते 2097 हत्याएँ हुई जिसके 363 मामले सिर्फ झारखण्ड से थे. 2001 से ही इस राज्य में डायन प्रथा विरोधी कानून लागू हैं लेकिन इसका कोई असर नहीं हुआ हैं.
इस तरह के मामलें और आकड़ों को देखकर हमारे देश के विकास और आधुनिकता के खोखलें होने का एहसास होता हैं.