दिव्यंका त्रिपाठी को बेटी पैदा होने से डर लग रहा है – तो इसलिए दिव्यंका त्रिपाठी को बेटी पैदा होने से लग रहा है डर !
छोटे पर्दे पर बहू और बेटी के रूप में मजबूत और एक सशक्त महिला का किरदार निभाने वाली अभिनेत्री दिव्यंका त्रिपाठी को बेटी होने से डर लगता है. आप सोच रहे होंगे कि आज के समय की एक कामयाब महिला को भला बेटी पैदा होने से डर क्यों लग रहा है.
तो हम आपको बता दें, ये डर कोई गलत नहीं.
दिव्यंका त्रिपाठी को बेटी पैदा होने से डर लग रहा है – क्योंकि आज हमारे समाज में बेटियों की सुरक्षा को लेकर संदेह तो पैदा होता ही है. चंडीगढ़ में एक नाबालिक लड़की के साथ बलात्कार की खबर ने हर किसी को डरा कर रख दिया है. स्कूल जाने वाली उस नाबालिक लड़की के साथ होने वाले घृणास्पद रवैये ने दिव्यंका त्रिपाठी को हिला कर रख दिया है. दिव्यंका पर इसका काफी बुरा और गहरा असर पड़ा है. दिव्यंका कि ये डर हर किसी को सोचने पर मजबूर करने वाला ही है.
इस हादसे से डरी हुई दिव्यंका ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ट्विटर पर बलात्कार रूपी कचरे को अपने स्वच्छता अभियान के अंतर्गत ही साफ करने की अपील की. दिव्यंका त्रिपाठी कहती हैं कि उन्हें कूड़े में रहना पसंद है, लेकिन बलात्कार जैसे डर के साए में जीना बहुत मुश्किल. समाज में बेटियों की नाज़ुक हालत को देखते हुए काफी डर लगने लगा है.
दोस्तों आज विज्ञान के इस दौर में हमारे समाज ने कितनी भी प्रगति क्यों न कर ली हो. लेकिन लड़कियों के प्रति समाज में भेड़िए जैसे इंसान की नजर और सोच इतनी गंदी है कि कहा नहीं जा सकता.
आज के समय में लोग बेटी पैदा होने से अब इसलिए नहीं डरने लगे हैं, कि उन्हें दहेज देना पड़ेगा. अपनी बेटी को विदा करना होगा. बल्कि अब डर इस बात का है कि बेटियों को सुरक्षा देना मुश्किल भरा हो गया है. कहां-कहां और किन-किन से बेटियों को बचाकर रखें. किस पर विश्वास करें किस पर ना करें.
बेटियों को घर में कैद कर रखना उसकी जिंदगी से खिलवाड़ करना होगा. बाहर भेजें तो भी उसकी जिंदगी हर वक्त डर के साए में होती है. ऐसे में किसकी जिम्मेदारी बनती है, इस समाज को ऐसे लोगों से मुक्ति दिलाने की जिनकी सोच और नजर इतनी गंदी है. जो अपनी हवस को मिटाने के लिए किसी भी हद को पार कर जाते हैं.
आज आवश्यकता है इस बात की, कि सारा समाज एकजुट होकर समाज को इस तरह की गंदगी से निजात दिलाए. जिससे महिलाएं आजादी से समाज में चैन की सांस ले सके. और बिना किसी डर के अपनी जिंदगी को जी सके.