अजीब लगता है कि भारत में एक गाँव ऐसा भी है जहाँ की महिलायें एक-एक करके पागल होती जा रही हैं.
यह एक कड़वा सच है जिसकी ओर अगर कोई ध्यान दे भी तब भी कुछ ज्यादा नहीं किया जा सकता है. क्योकि सरकार और प्रशासन ने इसे मात्र तनाव का नाम दे दिया है.
जी हाँ, उत्तर प्रदेश के झाँसी के बड़ागाँव क्षेत्र की, जहाँ की माहिलायें किसी मानसिक रोग की चपेट में हैं. बात अगर एक दो महिलाओं की होती तो कुछ बात भी थी लेकिन यहाँ तो अभी तक कुछ 30 महिलायें पागल हो चुकी हैं.
गाँव में स्थिति बहुत खराब है.
लोगों के घर तबाह हो रहे हैं. छोटे-छोटे बच्चे सड़कों पर भूखे मरने को घूम रहे हैं. कुछ नजदीकी सूत्रों ने बताया है कि सरकार नहीं चाहती है इस बात का किसी को ज्यादा पता चले. बदनामी का डर राज्य की सरकार को सता रहा है.
क्या है पूरा मामला:-
वैसे यह गाँव पागल औरतों के नाम से नहीं जाना जाता है. अगर आप इन्टरनेट पर झाँसी का विधवाओं का गाँव खोजते हैं तब यह आपको बड़ी आसानी से नजर आ जायेगा. इस गाँव में आपको हर उम्र की महिला विधवा मिल जायेगी. आश्चर्यजनक बात यह है कि इस गाँव के मर्द किसी बड़ी वजह या बड़ी समस्या के चलते आत्महत्या नहीं कर रहे हैं. बस इस गाँव में जाकर ऐसा लगता है कि जैसे यहाँ कोई श्राप लगा हुआ है.
अधिकतर मर्द शराब जैसी समस्या से ग्रसित हैं. आज भी गांव में कई मर्द ऐसे हैं जो सिर्फ लेटे हुए हैं और अपनी मौत का इंतज़ार कर रहे हैं. छोटे-छोटे से बच्चे बचपन खराब करते यहाँ साफ़ देखे जा सकते हैं. यहाँ की महिलाओं को सारा काम करना पड़ता है. घर भी वहीँ संभालती हैं और खेत भी वहीँ देखती हैं.
यही एक वहज है कि गाँव की औरतें पति की मौत के कुछ ही समय बाद पागल हो रही हैं.
क्या कहता है प्रशासन:-
प्रशासन का कहना है कि यहाँ कोई बिमारी नहीं है. यह तो बस एक तनाव और मानसिक समस्या की वजह से हो रहा है. जांच की गयी है इन लोगों की तो कोई बड़ा कारण नजर नहीं आया है. पहली समस्या तो यहाँ यह है कि गांव के मर्द छोटी उम्र में मर रहे हैं. विधवाओं की संख्या काफी है इस गाँव में. हर घर में 3 से 4 विधवायें हैं. यही वजह फिर आगे चलकर इनके मानसिक रोग की बन रही है.
यह समस्या विकराल रूप ले चुकी है और यहाँ डाक्टर से ज्यादा सामाजिक संस्थाओं की आवश्यकता है जो गाँव में आकर लोगों की समस्या का नजदीक से अध्ययन कर सके.