बलूचिस्तान की महिलाएं – पाकिस्तान से आजादी की जंग लड़ रहा बलूचिस्तान काफी बुरे दौर से गुजर रहा है।
जहां एक ओर बलूचिस्तान अपनी स्वतंत्रता की जंग लड़ रहा है, वहीं दूसरी ओर बलूचिस्तान की महिलायें डर और भय के साये में अपना जीवन बसर करने को मजबूर हैं। पाकिस्तान सेना ने बलूचिस्तान की महिलाओं, बच्चों और बच्चियों पर अपनी हैवानियत की सारी हदें पार कर दी है। पाकिस्तान द्वारा बलूचिस्तान पर अत्याचारों की तस्वीरें आये दिन सोशल मीडिया पर देखी जा सकती है।
इसके अलावा मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच ने भी बलूचिस्तान की महिलाएं, बच्चों और बच्चियों पर पाकिस्तानी सेना द्वारा हुए अत्याचारों और संघर्ष की दास्तान बयान की है।
बात केवल पाकिस्तान द्वारा हो रहे भेदभाव की ही नहीं है। बल्कि बलूचिस्तान में अंदुरूनी तौर पर भी काफी भेदभाव होता है। इसका अर्थ यह है कि बलूचिस्तान की महिलाएं और पुरूषों के जीवन यापन में जमीन आसमान जीतना भेदभाव है। वहां महिलाओं को हर छोटे बड़े काम में नियमों के दायरों में बांधा गया है। यहां महिलाओं को अपने मन मुताबिक खान-पान, रहन, शिक्षा, अधिकारों का हनन, संवैधानिक अधिकारों, आजादी से बोलने आदि किसी भी तरह की स्वंत्रता नहीं है।
बलूचिस्तान की महिलाएं जिन पर लगी ये पाबंदिया पढ़ उड़ जायेंगे होश
बलूचिस्तान में पुरूषों को अपनी चाय में दूध लेने की आज़ादी है, लेकिन बलूचिस्तान की महिलाएं ऐसा नहीं कर सकती ।
पुरूषों को मांस यानी मांसाहारी भोजन खाने की अनुमति है, लेकिन महिलाओं को सिर्फ वहीं खाने की आजा़दी है, जो पुरूषों के खाने के बाद बचा खुचा रह जाता है।
बलूचिस्तान में महिलाओं को शिक्षा का कोई अधिकार नहीं दिया गया है और यदि काफी जद्दोजहद के बाद किसी महिला या बच्ची को ये अधिकार मिल भी जाता है, तो उस पर कई तरह के प्रतिबंध लगा दिये जाते है। जैसे वह अपने मन मुताबिक कुछ भी पहन कर बाहर नहीं जा सकती, हर किसी से बात नहीं कर सकती। इसके साथ ही उन पर यह भी पाबंदी लगाई जाती है कि वह आगे अपना करियर भी खुद डियाइड नहीं कर सकती।
एक रिपोर्ट की माने तो बलूचिस्तान में पुरूषों में बच्चपन से पितृ सत्तात्मक मांसिकता कुछ इस कदर बिठा दी जाती है कि वह महिलाओं का जरा भी सम्मान नहीं करते। वह अपनी मांओं को भी पिटते हैं, और इसका कारण यह है कि वह अपने पिताओं को अपनी मां के साथ वैसा ही व्यहवार करते हुए देखते है।
बलूचिस्तान में यदि कोई महिला या छात्रा समाजिक खांचों और नियमों को लेकर यदि अपने विचार रखती है, तो उसे बुरी महिला के तौर पर परिभाषित किया जाता है।
बलूच में महिलाओं को मोबाइल फोन रखने तक की भी इज्जाजत नहीं दी गई है, क्योंकि वहां ऐसा माना जाता है कि जो महिलाएं मोबाइल फोन रखती है वह महिलाएं अश्लील होती है।
बलूचिस्तान की महिलाएं खुद अपने मान सम्मान की लड़ाई नहीं लड़ सकती और यदि कोई महिला ऐसा करने का प्रयास भी करती है, तो उसे समाज के बहिष्कार या मौत की सजा जैसी भयावह सजाओं का सामना करना पड़ता है। लेकिन कहते है ना कि उम्मीद पर ही दुनिया कायम है।
शायद यहीं कारण है कि बलूचिस्तान में ऐसे सख्त नियमों, कानूनों के बाद भी हाल ही में एक न्यूज चैनल को दिए अपने इन्टव्यू में बलूचिस्तान की कई लड़कियों ने यह उम्मीद जताई थी, कि वह जल्द ही वहां के माहौल और लोगों की सोच दोनों को बदल देंगी।
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