लड़कियों की ताकत – स्त्री और पुरुष दोनों की ही अपनी अलग-अलग विशेषतांए और गुण होते हैं। स्त्रियां कोमल और चंचल होती हैं तो वहीं पुरुष स्वाभिमानी माने जाते हैं।
हर किसी वर्ग की अपनी अलग शक्ति और कमज़ोरी होती है।
आज हम आपको लड़कियों की ताकत के बारे में बताने जा रहे हैं। इसके बारे में स्वयं आचार्य चाणक्य ने बताया था।
आचार्य चाणक्य के अनुसार ब्राह्मण, राजा और स्त्री को आदिकाल से विशेष दर्जा दिया गया है। किसी भी राज्य के विकास में तो ये तीनों अहम भूमिका निभाते हैं साथ ही उसके पतन का श्रेय भी इन्हीं तीनों को जाता है।
आचार्य चाणक्य का कहना है कि ब्राह्मण, राजा और स्त्री की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है। राजा को देश के प्रधानमंत्री, ब्राह्मण को ज्ञानी और महिलाओं को देश के विकास में प्रमुख बताया गया है।
आचार्य चाणक्य के अनुसार राजा की ताकत उसका स्वयं का बाहुबल होता है। वैसे तो राजा के पास सेना, मंत्री और हाथी-घोड़, शस्त्र आदि सब होते हैं लेकिन राजा का स्वयं साहसी होना भी आवश्यक है। कोई भी शक्तिहीन राजा शासन नहीं कर सकता है। जिस राजा के पास स्वयं का बाहुबल होगा वह अपने राज्य को भली-भांति चला पाएगा।
दूसरे नंबर पर ब्राह्मण आता है और उसकी सबसे बड़ी ताकत होती है उसका स्वयं का ज्ञान। ब्राह्मण के पास जितना ज्ञान होगा उसे उतना ही सम्मान प्राप्त होगा। ईश्वर और जीवन से प्राप्त ज्ञान से ही कोई ब्राह्मण शक्तिशाली बनता है।
इसके बाद स्त्रियों का नाम आता है। लड़कियों की ताकत उनका यौवन, सौंदर्य और मधुर वाणी होती है। अपने इन तीन गुणों से कोई भी स्त्री किसी को भी अपने वश में कर सकती है। स्त्री अपने सौंदर्य और यौवन से किसी को भी अपनी ओर आकर्षित कर सकती है। यौवन और सौंदर्य को ही स्त्री की सबसे बड़ी ताकत होती है। इससे वो किसी को भी अपने आगे झुका सकती है। सौंदर्यहीन स्त्री की मधुर वाणी भी अमृत का काम करती है। ऐसी स्त्री अपनी वाणी से समाज में सम्मान प्राप्त करती है।