ओ भाई, तुम्हारी बहन को कंधे पे उठा के घर छोड़ने को कह रहा हूँ, कुछ उल्टा सीधा मत समझ लो!
यार जब लड़के टल्ली हो के यहाँ वहाँ गिरे पड़े होते हैं तो उन्हें भी तो कंधे पर उठा कर घर छोड़ के आते हो ना?
तो फिर लड़कियों के साथ भी यही करो!
आजकल बराबर की टक्कर दे रही हैं लड़कों को लड़कियां टल्ली होने में! बल्कि यूँ कहो कि एक क़दम आगे ही हो गयी हैं लड़कों से!
विश्वास नहीं होता?
किसी भी पार्टी या पब में जाके देख लो!
बारटेंडर के आस-पास जितने लड़के नहीं होंगे, उतनी लड़कियाँ खड़ी होंगी!
और थोड़ी देर के बाद अपने-आप को संभालती हुई स्टूल पर बैठी होंगी और उसकी कुछ देर बाद, किसी सोफ़े पर बैठी या तक़रीबन लेटी-सी पायी जाएँगी और उनके दोस्त उनके लिए जाम पर जाम बना के दे रहे होंगे!
दोस्तों ज़माना पुरुष-महिला की बराबरी का है! जो काम मर्द कर सकते हैं, वही औरतों को भी करने की इच्छा है, हक़ है और कुछ हद तक ज़रुरत भी| लेकिन बहुत सी लड़कियों ने इसी आज़ादी को ग़लत तरीके से अपना लिया है! ऐसा नहीं कि लड़के शराब पीकर गटर में गिरें तो चलता है पर लड़कियाँ ऐसा नहीं कर सकतीं| करो, आपकी ज़िन्दगी है, जो मर्ज़ी करो, पर जो ग़लत है वो ग़लत है! चाहे आदमी हो या औरत! बराबरी का मतलब सिर्फ़ सिगरेट, शराब और इस तरह की हानिकारक चीज़ों का हद पार करके सेवन करना ही नहीं है| बराबरी करनी है तो शिक्षा के क्षेत्र में, काम की जगह पर या ऐसी जगह करो जहाँ ख़ुद को कोई नुक्सान ना पहुँचता हो| अब दारु पी कर टल्ली होंगी तो भला फ़ायदा किसका होगा? और हासिल भला क्या होगा?
शराब में ड्रग मिलाकर रेप, बलात्कार के क़िस्से आम हो गए हैं! वैसा नहीं भी हुआ तो शराब में टल्ली होकर होश गँवा बैठना और कुछ ग़लत कर बैठना भी मामूली बात है! अब अगर आप यह कहो कि लड़कों को समझा लो कि वो ठीक से व्यवहार करें, हम तो टल्ली भी होंगी, होश भी खोएँगी और कुछ ग़लत हुआ तो उसकी ज़िम्मेदारी भी नहीं लेंगी, तो इतना सब तो नहीं चलेगा ना मैडम! इसका आसान हल तो यही है कि पीने पर काबू रखिये या अपने उन दोस्तों के साथ ही पीजिये जिन पर पूरा भरोसा करती हैं|
युवा पीढ़ी के लिए शराब पीना मानो एक कूल सी बात है और लड़कियों को अपनी नयी-नयी पायी आज़ादी का मतलब शायद अभी तक ठीक से समझ आया नहीं है! पर मैं यह भी नहीं कहूँगा कि लड़के ही उन्हें बताएँ कि कैसे जीना है, क्या करना है, क्या नहीं करना है! वो तो सदियों से आदमी लोग कर ही रहे हैं और बहुत हद तक वो ग़लत भी है! लड़कियाँ अपनी ज़िन्दगी जीने के लिए बिलकुल आज़ाद हैं और अपने जीवन के फैसले लेने का पूरा–पूरा हक़ उन्हें ही होना चाहिए| लेकिन कुछ चीज़ें ऐसी हैं, कुछ गलतियाँ ऐसी हैं जिनका सबक दूसरों को देखकर सीख लेना चाहिए| उसी में से एक है शराब के अवगुण! लिमिट में पीजिये, उसका आनंद लीजीए लेकिन अपनी सीमा बाँधिए! और यह सबक लड़कों पर भी लागू होता है!
अंत में यही कहूँगा कि एक ही ज़िन्दगी है, मज़े से बिताइये, हर चीज़ का मज़ा लीजिये लेकिन लिमिट में!
बाकी आपकी ज़िन्दगी, आपके फ़ैसले!