आज हर जगह महिला सम्मान का मुद्दा उठते ही यह बात होने लगती हैं कि रीति रिवाज़ और संस्कृति के नाम जितना दुर्व्यवहार औरतों के साथ होता हैं, किसी और के साथ नहीं होता हैं और बदकिस्मती यह हैं कि ऐसी सारी बात हर रोज़ हमारे समाज में घटती हैं.
हम अपने समाज से औरतों को सम्मान देने वाली बात से बिलकुल नाउम्मीद हो चुके हैं, लेकिन महिलाओं के लिए हिन्दू पुराणों में भी कहा गया हैं कि उनका सम्मान उनके हाथों में हैं.
कहा जाता हैं कि जब तक आप खुद का सम्मान नही करेंगे किसी और से सम्मान के उम्मीद नहीं कर सकते हैं.
इस पुरुषवादी समाज से किसी भी तरह की उम्मीद रखना ही बेकार हैं, फिर भी महिलाएं उम्मीद रखती हैं कि पुरषों से उसे वह सम्मान मिले जिसकी वो हक़दार हैं. पर ऐसा तभी संभव हैं जब वह खुद के लिए ऐसा सम्मान महसूस करें.
घर-परिवार, जाति, समाज सभी जगह स्त्री को सही सम्मान मिले इसके लिए गरुड़ पुराण में भी औरतों के लिए शास्त्रों में क्यों कही गयी हैं ये बातें, जिसका ध्यान रखकर औरतों को समाज से वह सम्मान मिल सकता हैं जिसकी वो हक़दार हैं.
1. अलगाव से बचे-
यदि किसी स्त्री का विवाह हो चूका हैं तो उसे अपने पति से ज्यादा दिनों के लिए दूर नहीं रहना चाहियें. जीवनसाथी से विरह स्त्रियों को मानसिक तौर पर कमज़ोर कर देता हैं, साथ समाज भी ऐसी स्त्रियों के प्रति कभी भी उदार नहीं होता हैं और गलत नज़र से ही देखता हैं.