स्तनपान – हमारे दश में महिलाओं के ब्रेस्ट बहुत बड़ा टेबू हैं जिसके कारण इस पर कई सारे मीम्स भी बने हुए हैं।
फिल्मों में छेड़खानी के लिए सबसे पहले यही दिखाया जाता है कि विलन लड़की के ब्रेस्ट की ओर घूर रहा है। लोग तो कहते भी हैं कि लड़की की शक्ल कोई मायने नहीं रखती अगर उसका फिगर अचछा हो। इसलिए तो कई बार यह खबरें भी सुनने को मिलती हैं कि किसी लड़की को केवल इसलिए मना कर दिया गया क्योंकि उसके ब्रेस्ट छोटे थे।
खैर ये बाद की बात है।
आज हम बात करने वाले हैं ब्रेस्टफीडिंग की। आपने भी कई बार पब्लिक ट्रांसपोर्ट में कई महिलाओं को अपने बच्चों को ब्रेस्टफीडिंग कराते हुए देखा होगा। खासकर ट्रेन में… क्योंकि ट्रेन का सफर लंबा होता है तो वहां महिलाएं ब्रेस्टफीडिंग कराते हुए दिख जाती हैं। अब तो बस और गाड़ियों में भी यह बहुत कॉमन हो गया है। लेकिन आज इसकी भी बात नहीं करनी है। आज की बात इससे जुड़ी जरूर हुई है। आज हम बात करने वाले हैं उस फोटो की जिसके कारण बहुत बवाल मचा हुआ है।
ब्रेस्टफीडिंग कराती महिला की तस्वीर
साउथ इंडिया की एक मैगज़ीन के कवर पेज़ पर एक दूध पिलाते बच्चे की तस्वीर छपी है। यह तस्वीर सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रही है। यह मैगजीन केरल से प्रकाशित होती है। इस तस्वीर में मॉडल गिलु जोसफ़ बच्चे को छाती से लगाए कैमरे की ओर देख रही हैं जिसके साथ लिखा है, “माएं केरल से कह रही हैं – घूरो मत, हम स्तनपान कराना चाहती हैं।”
मॉडल नहीं है शादी-शुदा
सबसे पहले बहस इस बात पर हो रही है कि इस तस्वीर में जिस महिला को दिखाया गया है वह शादी-शुदा नहीं है। ऐसे में एक तरह से कुंवारी महिला के ब्रेस्ट को दिखाना सस्ती लोकप्रियता पाने का एक तरीका है। इसके अलावा यह मॉडल एक ईसाई है जबकि इस तस्वीर में उसे मंगलसूत्र पहना है और सिंदुर लगाया हुआ है। ऐसे में कुछ कट्टरपंथी भी उसकी आलोचना कर रहे हैं।
कवरपेज के लिए यह तस्वीर क्यों
सोशल मीडिया पर बहस को बढ़ते देख मैगजीन की संपादक ने कहा कि मैगज़ीन इस कवर इमेज के जरिए सार्वजनिक जगहों पर स्तनपान कराने के लिए जागरुकता फैलाना चाहती हैं। बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में मोंसी जोसफ ने बताया, “एक महीने पहले, एक आदमी ने स्तनपान कराती अपनी पत्नी की तस्वीर फेसबुक पर शेयर की थी। वो चाहता था कि सार्वजनिक जगहों पर मांओं को स्तनपान कराने देने को लेकर बहस छिड़े। लेकिन एक सकारात्मक बहस छिड़ने के बजाए उस महिला की पुरुषों और महिलाओं ने साइबर बुलिंग कर दी।”
“इसलिए हमने फ़ैसला किया कि स्तनपान के इस मुद्दे को हम अपने ताज़ा अंक में उठाएंगे।”
जहां इस मैगजीन के कवर पेज ने लोगों के बीच बहस छेड़ दी है वहीं केरल के जाने-माने लेखक पॉल ज़कारिया ने बीबीसी से कहा किये कवर इमेज एक तरह से “पाथ-ब्रेकिंग क़दम” था।
सही बात है… नेगेटिव ही सही लेकिन इस कवर इमेज के बहाने कम से कम इस मुद्दे पर चर्चा तो हुई। क्योंकि आज भी महिलाएं पब्लिक प्लेस में स्तनपान कराने से पहले काफी शर्माती हैं।
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