महिलाओं का शोषण – 21वीं सदी में रहते हुए शायद ही आपको इस बात पर यकीन हो लेकिन आज भी हमारे देश में ऐसी कई जगहे हैं जहां कुरीतियों का पालन होता है. इन जगहों पर रहने वाले लोग ना सरकार की सुनते हैं और ना ही कानून को मानते हैं.
यहां के लोगों के अपने बनाए हुए कानून हैं और सालों से उनके ज़रिए ये अपनी कुरीतियों का पालन करते आए हैं.
हमारे देश में केवल कानून में बदलाव या किसी भी तरह का उल्लंघन करने का अधिकार सिर्फ राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को है लेकिन देश के इस हिस्से में रहने वाले लोग भी अपने हिसाब से कानून बनाते हैं और उनको महिलाओं पर थोपते हुए महिलाओं का शोषण करते है और उनके साथ दुर्व्यव्हार करते हैं. यहां रहने वाले सभी पुरुष अपनी शर्तों पर जीते हैं और महिलाएं इनके लिए केवल एक मोहरा होती हैं.
आज हम आपको जिस गांव के बारे में बताने जा रहे हैं वहां की परंपराए कुछ ऐसी हैं जिन्हें सुनकर आप हैरान रह जाएंगे. इस गांव की महिलाओं को अपने पति के लिए मात्र दो गज की जमीन सुरक्षित करने के लिए अपने देवरों के साथ सोना पड़ता है.
आपको महिलाओं का शोषण पर यकीन हो ना हो लेकिन यह बात बिल्कुल सच है और 21वीं सदी के भारत के एक गांव की ही है. यहां की औरतों को अपने परिवार वालों की मर्जी से ही अपने सभी देवरों के साथ जबरन शारीरक संबंध बनाने पड़ते हैं. इस गांव में महिलाओं का शोषण इतना होता है कि मानो महिला के लिए कोई अधिकार कोई महिला सशक्ति करण नाम की चीज़ ही नही है.
कई रिपोर्ट्स में ये सामने आ चुका है कि राजस्थान के अलवर के मनखेरा गांव में ये कुरीति कई सदियों से निभाई जा रही है. यहां के लोगों का मानना है कि अगर उन्होंने इस का पालन नहीं किया तो उनके पूर्वज उनसे नाराज़ हो जाएंगे.
एक रिपोर्ट के अनुसार इस घटिया प्रथा को निभाने के पीछे दो मुख्य कारण नज़र आते हैं. जिनमे से पहला है कि महिला और पुरुष के बीच बढ़ रहा लिंगानुपात और दूसरा ये कि यहां के लोगों के पास पैसों और जमीन दोनों की ही कमी है. इस गांव में इस कुरीति को सभी निभाते चले आ रहे हैं.
गांव के कानून इतने सख्त हैं कि यहां पर किसी को इस बारे में खुलकर बोलने की इजाजत नहीं है और ना ही महिलाएं अपने साथ हो रहे इस दुर्व्यव्हार के खिलाफ़ कोई आवाज़ उठा सकती हैं.
इतना ही नहीं बल्कि एक रिपोर्ट में तो ये तक सामने आया है कि महिलाओं का शोषण इस तारा से होता है कि महिला किसी गैर मर्द के साथ संबंध बनाने से इनकार कर दे तो उसका बहुत बुरा हाल किया जाता है.
साल 2013 में सरकार ने इस गांव में एक अध्ययन कराया था जिसमें यह सामने आया कि यहां कम जमीन होने के कारण यहां के अधिकतर पुरुष अविवाहित हैं. यही नहीं बल्कि इस अध्ययन की बात करें तो यहां हर परिवार में एक पुरुष कुंवारा पाया गया था. इस गांव में सभी परिवारों का मूल स्रोत खेती होने के कारण यहा के लोगो को जमीन की बहुत जरुरत पड़ती है. और इसी कारण अपनी जायदाद के बंटवारे को बचाने के लिए यहां परिवार में केवल एक ही महिला से परिवार का सबसे बड़ा पुरुष विवाह करता है और अन्य पुरुष उससे संबंध बनाते हैं.
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