जिंदगी और मौत ऊपर वाले के हाथ है जहाँपनाह,
उसे ना तो आप बदल सकते हैं ना मैं.
हम सब तो रंगमंच की कठपुतलियां हैं जिनकी डोर ऊपर वाले की उँगलियों में बंधी है.
कब, कौन, कैसे उठेगा ये कोई नहीं बता सकता है.
आनंद फिल्म में राजेश खन्ना कितने प्यार से, जिंदगी और मौत की कहानी बयान कर देते हैं. गीता में भगवान कृष्ण भी, आत्मा के बारें में बताते हैं कि “आत्मा अमर, अजर है, आत्मा को कोई नहीं मार सकता, केवल इसके देह नष्ट होते हैं, आत्मा को शस्त्र नहीं काट सकते हैं, आत्मा को आग में जलाया नहीं जा सकता, आत्मा को जल गीला नहीं कर सकता.” सभी धर्मों में आत्मा और मृत्यु के बारे में बताया गया है.
लेकिन असल जिन्दगी में, अपने किसी खास को खोना कितना मुश्किल होता है, इस बात को हम शब्दों में नहीं बता सकते हैं. आपके सामने आपका अपना, गुमसुम लेटा हुआ हो, आपकी आँखों से उसकी यादें, आसुओं के जरिये बाहर आ रही हों. सब कुछ एक सपने जैसा लगता है कि जैसे अभी वो गहरी नींद से उठ जाएगा और फिर से हमारी जिंदगी में घुलमिल जायेगा. लेकिन हम लाख मन्नतें भी कर लें पर ऐसा होता नहीं है. कैसे एक पल में सब कुछ बदल जाता है.
देखते हैं वो 5 बातें जो अक्सर हम, अपने किसी को खोने के बाद सोचते हैं-
- काश की यह ख्वाब हो
किसी अपने को खोने के बाद, हम यही सोचते हैं कि काश यह ख्वाब हो. एक सपना हो, यह हकीकत ना हो. अभी कल तो सब कुछ सही था. वो हसंता था, खूब सारी बातें करता था, और आज अचानक से यह क्या हो गया है? हिन्दू धर्म में वैसे यह भी एक रीति-रिवाज है कि यदि हम सपने में किसी की मृत्यु देखते हैं तो उसकी उम्र बढ़ती है. शायद हम इसीलिए सोचते हैं कि यह ख्वाब हो और अक्सर हम अपने को खोने के बाद अकेले कहीं बैठे यही सोचते रहते हैं.