किराए पर पत्नी – जहाँ औरतों की इज्ज़त होती है वहां लक्ष्मी निवास करती हैं, ये कहावत हमारे यहाँ है.
कहते हैं की महिलाओं की इज्ज़त जिस घर में होती है वहां पर कभी किसी तरह की हानि या विनाश नहीं होता, लेकिन हमारे यहाँ ही आये दिन ऐसी गह्त्नाएं होती रहती हैं जो हमारी कहावत को आज झूठी ठहरा देती हैं. यह वाही भारतभूमि है जहाँ पर कभी नारियों की पूजा होती थी, लेकिन अब उसी नारी को बेचा और खरीदा जाता है. पहले जब वो बच्ची होती है तब उसे बेचा जाता है और फिर एक समय ऐसा आता है जब उसे देह व्यापार के लिए खरीदा और बेचा जाता है.
ये यहीं तक सिमित नहीं रहा अब तो किराए पर पत्नी मिल रही हैं.
किराए पर पत्नी –
सुनकर आपको हैरानी हो रही होगी, लेकिन ये सच है.
आपने कभी हिंदी फिल्मों में देखा होगा कि अपनी माँ को किसी बीमारी से बचाने के लिए हीरो किसी लड़की को कुछ दिन के लिए ये नाटक करने को कहता है कि वो उसकी पत्नी बनकर रहे और उसकी माँ की सेवा करे, इसके लिए वो उसे पैसे दे देगा.
धीरे धीरे दोनों में प्यार हो जाता है और अंत में दोनों ही शादी कर लेते हैं. अब यही सब हकीकत में हो रहा है. इसी भारतभूमि पर. ये फ़िल्मी कहानी की हकीकत बाया होती है मध्य प्रदेश में.
जी हाँ वाही मध्य प्रदेश जो हर तरह से अपनी सफलता का हुंकार भरता है, लेकिन सच्चाई कुछ और ही है.
यूँ तो मध्य प्रदेश कहने के लिए एक बड़ा राज्य है, लेकिन यहाँ शिवपुरी नाम की एक जगह भी स्थित है. बता दे कि ये जगह धड़ीचा प्रथा के लिए काफी मशहूर है. जी हां यहाँ हर साल एक मंडी लगाई जाती है, जहाँ लड़कियों को एक तरफ खड़ा करके प्रथा के नाम पर उनका सौदा किया जाता है. गौरतलब है कि महिलाओ की इस मंडी में पुरुष आते है और अपनी पसंद की लड़की को कीमत देकर ले जाते है. इसके इलावा आपकी जानकारी के लिए बता दे कि इस मंडी की कीमत पंद्रह हजार से शुरू होकर पच्चीस हजार तक पहुँच जाती है.
सबसे हैरानी वाली बात तो ये है की इसे प्रथा कहते हैं. ये कोई और नहीं बल्कि लड़की के घर वाले ही करते हैं.
आपको बेहद अफ़सोस होगा कि इस प्रथा के अनुसार लड़की के घरवाले ही केवल एक साल के लिए किसी भी अनजान शख्स से उसकी शादी करवा देते है. इसके साथ ही अगर वो शख्स चाहे तो ज्यादा पैसे देकर उस लड़की को ज्यादा समय के लिए अपनी बीवी बना कर भी रख सकता है. इसका मतलब ये हुआ कि उस लड़की के साथ वो गैर मर्द जब तक चाहे रह सकता है और पैसे देते रहे.
इस तरह किराए पर पत्नी मिल जाती है. दुःख की बात तो ये है कि अनमोल लड़कियों का भाव यहाँ १० रूपए से लेकर १०० रूपए तक के स्टाम्प पेपर पर बेचीं जाती हैं. तरक्की परस्त भारत के लिए ये बहुत ही दुखद बात है. क्या इस तरह की खबरों और हकीकत से कभी भारत आगे बढ़ पाएगा? जहाँ पर महिलाओं की ऐसी दशा हो उससे क्या उम्मीद लगे जा सकती है ?
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