भारत में महिलाओं की सुरक्षा इस देश की अर्थव्यवस्था से भी बड़ा मुद्दा बन गई है। आए दिन बलात्कारों, दहेज उत्पीड़न और यौन शोषण के मामले सामने आते रहते हैं।
महिलाओं की सुरक्षा के लिहाज़ से सबसे ज्यादा असुरक्षित देश की राजधानी दिल्ली शहर है। इस शहर में रात में तो क्या महिलाएं दिन में भी सुरक्षित नहीं हैं। सुबह पार्क में जॉगिंग करने जाओ या शाम को शॉपिंग करने या फिर रात को परिवार के साथ घूमने निकलो, महिलाओं को यौन उत्पीड़न का शिकार बनना पड़ रहा है।
दिल्ली में बलात्कार की घटनाओं में सबस ज्यादा आसपास से आए राज्यों के लोग लिप्त रहते हैं। कुछ समय पहले सुप्रीम कोर्ट ने भी इस बात को स्वीकारा था कि दिल्ली में बढ़ते क्राइम में ज्यादातर आसपास के राज्यों के लोग शामिल पाए गए हैं।
इसके अलावा अधिकतर रेप के मामले और यौन शोषण जैसे केसों में लड़कियों के जानकार ही अपराधी निकलते हैं जो उन्हें डरा धमका कर उनका यौन शोषण करते हैं। महिलाओं को तो छोडिए अब तो 4-5 साल की बच्चियां तक महफूज़ नहीं हैं। कई बार बच्चियों के साथ भी क्रूरता से बलात्कार किए जाने के मामले सामने आए हैं। ये हादसे इतने दर्दनाक थे कि मानवता शर्मसार हो जाए।
इससे पहले एक लेख में हमने आपको बताया था कि भारत के लोग सबसे ज्यादा काम वासना की बीमारी से ग्रस्त हैं। काम वासना के पूरा ना होने पर लोग रेप जैसी घटनाओं को अंजाम देने निकल पड़ते हैं। भारत में सेक्स को लेकर खुलकर बात नहीं की जाती है जिस वजह से लोग गलत जगहों से इसके बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं और इसके पूरा ना होने पर उनमें यह कुंठा बनकर रह जाती है। इसे मनोविकार भी कहा जा सकता है।
क्यों है महिलाओं की सुरक्षा एक मज़ाक
16 दिसंबर की रात को हुए गैंगरेप के बारे में तो पूरी दुनिया को पता है। इसके बाद दिल्ली से लेकर विदेशों तक में महिलाओं की सुरक्षा के लिए कई सवाल उठे, रैलियां निकलीं, लोगों ने आंदोलन किए लेकिन तब भी हालात वहीं के वहीं हैं। आज भी हर रोज़ हज़ारों महिलाएं रेप का शिकार हो रही हैं।
इसका कारण प्रशासन की सुस्ती और पुलिय का ढीला रवैया है। अगर पुलिस ठीक तरह से अपराधियों को पकड़े और एफआईआर दर्ज करने में ज़रा भी देरी ना करे तो इस तरह के मामलों को कम किया जा सकता है।
हाल ही में एक महिला ने बताया कि रात को उनकी कार का एक्सीडेंट हो गया था और सामने वाली कार में 3 आदमी सवार थे जो उनके साथ बत्तमीज़ी करने पर उतारू हो गए थे। महिला इसकी रिपोर्ट करवाने थाने गई तो वहां आधे घंटे तक पुलिस ने उन्हें बैठाए रखा। बहुत कहासुनी के बाद उनकी रिपोर्ट दर्ज की गई।
अगर ऐसा ही चलता रहा है तो महिलाओं को खुद ही अपनी सुरक्षा के लिए कुछ करना पड़ेगा। वैसे भी अगर महिलाएं इस पुरुष प्रधान समाज से कोई उम्मीद ना करें तो ही बेहतर होगा क्योंकि ना पुलिस उनके लिए कुछ करना चाहती है और ना ही सरकार को कोई होश है।
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