महिलायें बातूनी – दुनिया में ये बात बहुत मशहूर है कि महिलाएं, पुरूषों की अपेक्षा ज्यादा बोलती हैं.
आपने भी अपने आसपास लोगों से सुना होगा कि महिलाओं के पेट में कोई बात नहीं पचती है।
वह इतनी बातूनी होती हैं कि हर वक्त गॉसिप करती रहती हैं। आज हम आपको बता रहे हैं कि आखिर महिलाओं के पेट में कोई बात क्यों नही पचती है और महिलायें बातूनी क्यों होती हैं।
महिलाओं और पुरूषों के स्वभाव में काफी अतंर होता है। पुरूष जहां कठोर स्वभाव के होते हैं वहीं महिलाएं कोमल और भावुक होती हैं। इसीलिए वह भावनाओं में बहकर सब बता देती हैं।
एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि महिलांए कोई भी विवादास्पद मुद्दा हो या किसी सोशल मुददे पर बात हो, वह पुरूषों के मुकाबले बातों को ज्यादा तेजी से फैलाती हैं। पुरूषों की अपेक्षा महिलाएं 19 गुना ज्यादा बात करती हैं।शोधकर्ताओं के मुताबिकमहिलाओं के मस्तिष्क में ‘फॉक्सपी2’ नाम का लैंग्वेज प्रोटीन 30 फीसदी ज्यादा होता है।
यही कारण है कि लडकियां जहां 20 महीने में बोलना शुरू कर देती हैं वहीं लड़के उनकी तुलना में बोलने में वक्त लेते हैं। शोधकताओं ने बताया कि 20 महीने की बच्ची का शब्द ज्ञान इस उम्र के लड़कों के मुकाबले तीन गुना ज्यादा होता है।
महिलाओं और पुरूषों में अहम फर्क यह होता है कि महिलाएं बिना सोचे समझे कुछ भी बोल देती हैं जबकि पुरूष कुछ भी बोलने से पहले सोचते हैं।आपको बता दें कि महिलाएं ऐसा इसलिए भी करती हैं ताकि वह खुद को दूसरों के सामने स्मार्ट व टैलेंटेड दिखा सकें। वह दूसरों का ध्यान अपनी तरफ केंद्रित करने के लिए भी ऐसी बातें करती हैं जिससे कुछ सस्पेंस क्रिएट हो जाए।
इस लिए महिलायें बातूनी होती है – चाहे कारण जो भी हो, महिलायें बातूनी होने के लिए प्रसिद्ध हैं। वैसे भी अब तो शोधकर्ताओं ने भी इस बात पर अपनी मुहर लगा दी है।
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