नवरात्री संस्कृत भाषा का एक शब्द है, जिसका अर्थ होता नौ रातें.
हिन्दू धर्म में मनाये जाने वाले त्यौहारों में सबसे पवित्र माना जाने वाला नवरात्री का त्यौहार साल में दो बार मनाया जाता हैं. पितर पक्ष के बाद इस महीने भी नवरात्री का यह त्यौहार धूमधाम से मनाया जायेगा. हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार सभी घर में माँ दुर्गा के नाम की ज्योत रखी जाती हैं, उनके नाम से ज्वारें लगाई जाती हैं और पुरे विधि विधान से देवी माँ की पूजा जाती हैं.
इस त्यौहार के दौरान अधिकतर महिलाएं उपवास रखकर अपनी भक्ति देवी माँ के प्रति व्यक्त करती हैं.
लेकिन क्या आप जानते हैं कि नवरात्री में महिलाओं को सेक्स करने की क्यों मनाही हैं?
कहा जाता हैं कि नवरात्री हर दिवाली के 20 दिन पहले आती हैं. नवरात्री के इस पुरे नौ दिन दुर्गा माँ अपने अलग अलग रूप में हर दिन भक्तो के पास आती हैं, लेकिन इन नौ रूपों में से मुख्य तीन रूप हैं महालक्ष्मी, महासरस्वतीं और महाकाली पर देवी माँ के इन तीन रूपों के अलावा भी और कई रूपों में पूजी जाती हैं.
हिन्दू मान्यता के अनुसार इन नौ दिन में हर दिन देवी के रूपों के लिए बंटा हुआ हैं. नवरात्री के चौथे पांचवे और छठें दिन को धन की देवी लक्ष्मी के लिए समर्पित किया जाता हैं. इन दिनों यदि महालक्ष्मी की पूजा पुरे भक्ति भाव से करे तो देवी प्रसन्न होकर हमारे जीवन में चल रही हर तरह की आर्थिक समस्या से छुटकारा दिलाती हैं. छठें दिन के बाद सातवाँ दिन माँ शारदा या जिन्हें हम सरस्वती माँ भी कहते हैं का होता हैं.
ऐसा कहा जाता हैं कि जब भी व्यक्ति को धन की प्राप्ति होती हैं तो उसकी बुद्धि का संयमित होनी ज़रूरी होता हैं. लेकिन अक्सर देखा गया हैं कि जब भी किसी व्यक्ति को धन प्राप्ति होती हैं, उस के बाद उसकी बुद्धि भी भ्रष्ट हो जाती हैं और इसी वजह से सातवें दिन माता सरस्वती की पूजा की जाती हैं ताकि धन आने के बाद भी बुद्धि शांत और संयमित रहे.
इसके बाद वाले दिन माता काली और माँ दुर्गा का होता हैं. कहा जाता हैं कि दुर्गा का अर्थ होता हैं ‘जीवन से दुःख नष्ट करने वाली’ इसलिए माँ दुर्गा की पूजा कड़े नियमों के साथ की जाती हैं.
नवरात्री पूजन में महिलायें व्रत रखती हैं और अपना पूरा मन देवी पर लगाती हैं. इस दौरान उन्हें शारीरिक संबंध न बनाने की सलाह दी जाती हैं. यह बात सिर्फ मान्यताओं के अनुसार नहीं कही गयी हैं. इस मनाही के पीछे खास वजह यह हैं कि इन नौ दिनों महिलाएं उपवास की वजह से शारीरिक तौर पर कमज़ोर हो जाती हैं, साथ उपवास के कारण उनमे चिढ़-चिढ़ापन भी आ जाता हैं और ऐसे समय में उनसे संबंध बनाना सही नहीं होता हैं.
सेक्स के दौरान महिलाओं के शरीर से कई हारमोंस निकलते जो तामसी प्रवृति के होते हैं और यह हारमोंस उनका ध्यान आध्यात्म से दूर करते हैं इसलिए औरतों को नवरात्री के दौरान सेक्स के लिए मना किया जाता हैं.
वैसे हिन्दू धर्म में यह मनाही सिर्फ औरतों के लिए नहीं हैं. सेक्स के मामले पुरुषों को भी नवरात्री के दौरान भौतिकता से दूर रहने की बात कही जाती हैं.
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