ऐसा कहा जाता हैं कि जब भी व्यक्ति को धन की प्राप्ति होती हैं तो उसकी बुद्धि का संयमित होनी ज़रूरी होता हैं. लेकिन अक्सर देखा गया हैं कि जब भी किसी व्यक्ति को धन प्राप्ति होती हैं, उस के बाद उसकी बुद्धि भी भ्रष्ट हो जाती हैं और इसी वजह से सातवें दिन माता सरस्वती की पूजा की जाती हैं ताकि धन आने के बाद भी बुद्धि शांत और संयमित रहे.
इसके बाद वाले दिन माता काली और माँ दुर्गा का होता हैं. कहा जाता हैं कि दुर्गा का अर्थ होता हैं ‘जीवन से दुःख नष्ट करने वाली’ इसलिए माँ दुर्गा की पूजा कड़े नियमों के साथ की जाती हैं.
नवरात्री पूजन में महिलायें व्रत रखती हैं और अपना पूरा मन देवी पर लगाती हैं. इस दौरान उन्हें शारीरिक संबंध न बनाने की सलाह दी जाती हैं. यह बात सिर्फ मान्यताओं के अनुसार नहीं कही गयी हैं. इस मनाही के पीछे खास वजह यह हैं कि इन नौ दिनों महिलाएं उपवास की वजह से शारीरिक तौर पर कमज़ोर हो जाती हैं, साथ उपवास के कारण उनमे चिढ़-चिढ़ापन भी आ जाता हैं और ऐसे समय में उनसे संबंध बनाना सही नहीं होता हैं.
सेक्स के दौरान महिलाओं के शरीर से कई हारमोंस निकलते जो तामसी प्रवृति के होते हैं और यह हारमोंस उनका ध्यान आध्यात्म से दूर करते हैं इसलिए औरतों को नवरात्री के दौरान सेक्स के लिए मना किया जाता हैं.
वैसे हिन्दू धर्म में यह मनाही सिर्फ औरतों के लिए नहीं हैं. सेक्स के मामले पुरुषों को भी नवरात्री के दौरान भौतिकता से दूर रहने की बात कही जाती हैं.