भारतीय संस्कृति में हमेशा से ही बड़े-बुजुर्गो और गुरुजनों के पैर छूने के रिवाज रहा है।
जब भी कोई आशीर्वाद लेने के लिए किसी बड़े के आगे झुकता है तो वो उनके पैर ही स्पर्श करता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आशीर्वाद के लिए पैर ही क्यों छुए जाते है ?
आज हम आपको बताएँगे कि आशीर्वाद के लिए पैर ही क्यों छुए जाते है।
दरअसल पैर छूने के पीछे वैज्ञानिक कारण है, हमारे शरीर में ओपन एनर्जी के तीन सेंटर्स है.
पहला माथा, दूसरा हाथ और तीसरा पैर। पैरों में ओपन नाड़ी होती है, जहाँ से उर्जा निकलती है. जब आशीर्वाद लेने के लिए हम अपने हाथो से किसी के पैरों को छूते है तो हमारी एनर्जी के एक सेण्टर से दूसरे की एनर्जी सेंटर से संपर्क हो रहा होता है।
पैर छूने के बदले में जब सामने वाला आशीर्वाद देने के लिए हमारे माथे पर हाथ रखता है तब एक एनर्जी का सर्किट पूरा होता है। और सही मायनों में पैर छूने वाले के अंदर सकारात्मक उर्जा का संचार होता है। जो लोग किसी के पैर नहीं छूते है उनमें सकारात्मक उर्जा कमी होती है, जिसकी वजह से उसे जिंदगी में कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
ये बात वैज्ञानिक भी मानते है कि हर व्यक्ति के शरीर में एक दिव्य शक्ति होती है और ज्यादा से ज्यादा शक्ति का संचार करने के लिए पैरों को छूने की सलाह दी जाती है। शायद इसीलिए सदियों से भारतीय संस्कृति में अपने माता-पिता के पैर छूने का रिवाज़ रहा है और बच्चो को बड़ो के पैर छूने की शिक्षा दी जाती है।
एक तर्क यह भी है कि भगवान ने हमें इस दुनिया में अपने माता-पिता के माध्यम से ही भेजा है।
आशीर्वाद के लिए पैर ही क्यों छुए जाते है – हमें जिस किसी भी दिव्य शक्ति को हासिल करना है वो हमें माता-पिता के जरिये ही प्राप्त होगी और चरण स्पर्श करना तो इस दिव्य शक्ति को प्राप्त करने का एक तरीका है।