धर्म और भाग्य

कुंवारी स्त्रियों को शिवलिंग छूने की इजाज़त क्यों नहीं? जानिये ये सत्य, आज और अभी!

हिंदू धर्म के अनुसार शिव लिंग की पूजा करना अच्छा माना जाता है और सिर्फ़ भारत में ही नहीं, पूरी दुनिया में जहाँ-जहाँ हिंदू रहते हैं, वो इस पूजा-अर्चना में विश्वास रखते हैं|

लेकिन हैरान करने वाली बात ये है कि शिवलिंग को छूने और उसकी पूजा करने का अधिकार केवल आदमियों के पास है और औरतों, ख़ास तौर पर कुंवारी लड़कियों के लिए तो ये एकदम वर्जित है!

आखिर क्या वजह है इसके पीछे?

  1. क़िस्से कहानियों के अनुसार माना जाता है कि भगवान शिव बहुत ही कठोर और पवित्र तपस्या में लीन होते थे और वो भी कहीं किसी जंगल में या किसी ऊँचे पहाड़ की चोटी पर, मानव सभ्यता से कोसों दूर! ऐसे में औरत तो क्या, किसी आदमी का भी उनके आस-पास होना मुमकिन नहीं हो पाता था! माना जाता है कि ऐसे वक़्त में देवियाँ और अप्सराएँ भी अपनी तरफ से ख़ास एहतियात बरतती थीं कि कहीं ग़लती से भी भगवान शिव की तपस्या भंग ना हो जाये, वो कहीं उनके आस-पास ना चली जाएँ कि भगवान का ध्यान बंट जाए! कहीं ऐसा कुछ हो जाता तो भगवान के असीम क्रोध का ज्वालामुखी फट पड़ता और जिसने भी उनकी तपस्या में बाधा डाली, उसे सज़ा भुगतनी पड़ती! बस तभी से ये रीत चली आई है कि कोई भी औरत और कुंवारी लड़की शिवलिंग को छू नहीं सकती!
  1. लेकिन ऐसा नहीं है कि कुंवारी लड़कियाँ भगवान शिव को पूज नहीं सकतीं! बिलकुल उनकी पूजा कर सकती हैं लेकिन उनकी अकेले की नहीं, बल्कि पार्वती जी के साथ! शिव-पार्वती की पूजा करने की अनुमति है लड़कियों को! इसके अलावा 16 सोमवार के व्रत भी तो लड़कियाँ रखती ही हैं अपनी पसंद का पति पाने के लिए! उसका कारण है कि भगवान शिव को ही सबसे उत्तम पति माना गया है और लड़कियाँ उनसे अपने लिए उनके जैसा ही पति माँगती हैं|
  1. लिंग पुराणम् के अनुसार सभी आदमी भगवान शिव का अंश हैं और सभी लड़कियाँ पार्वती जी का! इसीलिए लड़कियों को शिवलिंग को हाथ लगाना भले ही मना है, उस पर जल चढ़ाने से कोई मनाही नहीं है!
  1. ये तो बात हुई कि क़िस्से-कहानियाँ और धर्म के ठेकेदार क्या कहते हैं! अब बात करें विश्वास की और निष्ठा की तो इन सब बातों में कुछ नहीं रखा! दिल से आप किसे पूजते हैं, किसका नाम लेने से, किसके आगे अपने दिल का हाल खोलने से आपको शान्ति मिलती है, अंदर ही अंदर एक शक्ति मिलती है, बस उसी का नाम धरिये! अंत में भगवान तो एक ही हैं, बस नाम और रूप अलग-अलग हैं, सबकी अपनी सहूलियत के अनुसार!

खुले मन और विचारों से उपरवाले का नाम लीजिये, बस उसी में शान्ति है!

Nitish Bakshi

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