अब भी जिसका खून ना खौला, खून नहीं वो पानी है,
जो देश के काम न आये वो बेकार जवानी है.
युवाओं का योगदान भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अभूतपूर्व रहा है. संयुक्त राष्ट्र के बयान के अनुसार भारत विश्व का सबसे नौजवान देश है, २०२० तक भारत की औसत उम्र २९ वर्ष होगी. युवा शक्ति हमारे देश के लिए सबसे बड़ी संपत्ति है, बस अब उसे भूनने की ज़रूरत हैं.
कोई कहता है की हमे चीन से खतरा है, कोई कहता पाकिस्तान से,
कोई कहता है नक्सली से है तो कोई कहता है माओवाद से,
यारों खतरे तो लाखों है पर क्या कोई खड़ा हुआ कभी हिंदुस्तान के लिए
कोई कहता है की बलात्कार बढ़ रहे हैं, बढ़ रही है चोरियां भी,
कोई कहता है बढ़ रहा है आतंकवाद, और सुलग रहे है दंगे भी,
यारों कहने वाले तो बहुत है पर क्या कोई खड़ा हुआ राष्ट्रवाद के लिए.
उँगलियाँ उठाने वाले को बहुत मिलेंगे, जनाब
पर क्या कोई खड़ा हुआ नन्ही उँगलियों को सहारा देने के लिए
मानते है की बहुत सी खामियां है हममें,
पर क्या कोई खड़ा हुआ उसे सुधारने के लिए,
जाओ कह दो ज़माने से की घुट-घुट के मरने से अच्छा हैं,
देश और देशवासियों के लिए जीना
क्यों जुड़ना चाहिए भारतीय सेना में
नौकरी की सुरक्षा: महंगाई के इस ज़माने में जब निजी कंपनियां किसी भी कर्मचारी को लागत में कटौती करने हेतु निष्कासित कर सकती है तब सरकारी नौकरी ही सबसे सुरक्षित विकल्प हैं. यहाँ कभी वेतन में कटौती की चिंता नहीं रहती बल्कि केवल वेतन वृद्धि ही होती है
वेतन: अगर आपने हाल ही में पढाई पूरी की है और जो आप आयोगित अधिकारी हो तो आपकी पगार ४२,००० प्रति माह होगी. इसके अलावा मासिक भत्ता (allowance) जो मिलता है वह अलग होता है. आपको अधिक ऊंचाई का भत्ता, उडान भत्ता, नौकायन भत्ता, द्वीप भत्ता वगैरह भी मिलेंगे.
अगर हमे शिकायत नहीं करनी परन्तु जिम्मेदारी उठानी हैं: हमने हर किसी को किसी न किसी चीज़ की शिकायत करते सुना ही होगा, जो राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित हो. पर शायद किसी ने तसदी नहीं ली उसे बदलने की. जो आप जिम्मेदारी लेने में मानते है, ना की शिकायत करने में तो सशस्त्र सेना सबसे उत्तम उपाय है
स्वयं एवं परिवार के लिए सुविधा: बच्चों के लिए शिक्षा का प्रावधान, वरिष्ठ अधिकारीयों के लिए गाडी की सुविधा, जहाँ कही भी आपकी पोस्टिंग हो वहां श्रेष्ठ आवास की सुविधा, लोन की सुविधा, मुफ्त हवाई, ट्रेन टिकट, आदि.
सम्मान: खोया हुआ पैसा फिर कमा लेंगे परन्तु खोया हुआ सम्मान वापस नहीं मिलेगा. इंसान चाहता है कि लोग उसे जाने, उसका सम्मान करे, उसके जीते वक्त और मृत्यु के पश्चात भी. पियूष मिश्र जी ने लिखा है, मौत अंत है नहीं, तो मौत से भी क्यों डरे यह जाके आसमान में दहाड़ दो. जीते वक़्त शायद लोग सलाम करते हो, परन्तु मरने के बाद आप किसी की यादों में अमर रहे, उसे ही असल जीना कहते हैं.
निवृत्ति के बाद: पगार जितनी बढ़िया है, पेंशन भी उतनी ही उत्तम हैं. २२ वर्ष सेवा करने के पश्चात एक अधिकारी को आजीवन ३०,००० रु प्रति माह मिलते हैं. अगर आप निवृत्ति के बाद भी सशस्त्र दल से जुड़े रहना चाहते हो तब भी ढेर सारे विकल्प हैं.
बिंदास अंदाज़: एक सर्वे के अनुसार महिलाओ को बिंदास अंदाज़ और अनुशासित पुरुष ज्यादा पसंद आते है. सेना की यूनिफार्म पहन कर जब आप आयने के समक्ष खड़े होते हैं तब शायद आईना भी यह कहता हैं “देखा न करो तुम आईना, कहीं मेरी नज़र ना लगे, चश्मेबद्दूर”
शारीरिक उपयुक्तता: यह तो आप जानते ही हैं कि रोज़मर्रा की ज़िन्दगी में हम इतने व्यस्त हो गए हैं की हम शारीरिक उपयुक्तता का महत्व तो जानते हैं परन्तु उसके लिए ज्यादा कुछ कर नहीं पाते. साहसिक कार्यों का ज़ोर फौज में अधिकतम है, इसका अर्थ यह है की काम से साथ शारीरिक स्फूर्ति भी. शर्त लगा लीजिये निवृत्त होने के बाद भी एक आर्मी-मेन एक युवा से भी ज्यादा तंदुरुस्त लगता हैं
जीवन के साथ भी, जीवन के बाद भी: दुनिया शायद आपका साथ छोड़ दे पर फ़ौज सदा आपके और आपके परिवार के हित के लिए तत्पर रहेगी, कभी यह चिंता नहीं सताएगी की हमारे बाद हमारे परिवार का क्या होगा?
राष्ट्रभक्ति: इसे आखिर में रखने का कारण यही है क्योंकि यह सबसे बुनियादी हैं.
हम तो घर से निकले ही थे बांध के सर पे कफ़न, जान हतेली पर लिए जो घर चले हैं यह कदम, ज़िन्दगी तो अपनी मेहमान मौत की महफ़िल में हैं, सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है.
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