बचपन की मोहब्बत को दिल से ना जुदा करना
जब याद मेरी आये मिलने की दूवां करना
फर्स्ट क्रश कहे या पहला पहला प्यार, बचपन में भी प्यार होता है शायद ही कोई इंसान होगा जिसने इसे एक्सपीरियंस ना किया होगा.
इंटिमेसी और शादी जैसे शब्दों का क्या मतलब होता ठीक से हमें पता भी नहीं होता है लेकिन एक अहसास जो किसी सिर्फ किसी ख़ास के लिए होता हैं
भरी भीड़ में भी बचकानी नज़रे किसी ख़ास चेहरे पर आकर रुक जाती हैं. उस ख़ास अहसास को कोई नाम दे पाना या पहचान पाना थोड़ा मुश्किल ही होता है शायद इसे ही बड़े होने पर हम पहला क्रश या पहला प्यार कहते है. कहते है कि बहुत खुशनसीब होते है वो लोग जिन्हें अपना पहला प्यार मिल जाता हैं और शादी के बंधन में बदल जाता हैं.
कुछ रिलेशनशिप्स शादी की मंजिल तक पहुंचने से पहले ही टूट जाते है तो जिंदगी भर के साथ में बदल जाते है. लेकिन बहुत ही कम खुशनसीब लोग होते है जिनका पहला प्यार यानि बचपन का प्यार शादी की मंजिल तक पहुंचता हैं.
लेकिन क्या आप जानते हैं कि अपने बचपन के प्यार से शादी करना क्यों फायदेमंद हैं-
परिवार की सहमती–
अक्सर चाईल्डहूड से शुरु हुए अफ़ेक्शन के प्यार में बदलने की प्रोसेस होती है तब तक इनके प्यार की भनक परिवार वालों को लग ही जाती हैं. ऐसे में धीरे-धीरे दोनों परिवार के लोग शादी के लिए सहमत भी हो जाते है क्योंकि इसमें घरवालों को सहमत करने का वक्त भी मिल जाता.दोनो पक्षों को एक दूसरे के घर के रीति रिवाजों को जानने का मौका भी मिल जाता हैं.
एक दूसरे खूबियां और खामियां का पता होना–
जब दो लोग एक दूसरें को बचपन से जानते है. तो उन्हें एक दूसरे के नेचर के बारें में अच्छे से पता होता है चाहे वो सॉफ्ट हो या शार्ट टेंपर्ड या फिर कूल हो सब पहले से पता होता है और वक्त के साथ दो चाईल्डहूड लवर एक दूसरे के नेचर के साथ एडजस्ट भी हो जाते है.
धोखेबाज है या सचमुच का प्यार-
बचपन से एक दूसरे को जानने की वजह से ये परख करने में आसानी होती है क्या कोई किसी के लिए वाकई में सीरियस है या नहीं ये जानने का मौका मिलता है. कभी-कभी जवानी में अक्सर जल्दी-जल्दी में फैसले ले लिए जाते है और जिंदगी की बेहद बड़ी भूल साबित हो जाते है.
जो भी है वो लगता है खूबसूरत- बचपन के प्यार का फायदा ये होता है यहां खूबसूरती के बजाए लगाव को प्राथमिकता दी जाती है. जिसकी वजह से अक्सर ये रिश्ते लंबे टिकते हैं.
फ़िल्में जिनमें दिखाया गया बचपन का प्यार-
लवारिस, अनमोल घड़ी, जीना सिर्फ मेरे लिए, मुझसे दोस्ती करोगे, मुक्कदर का सिंकदर, देवदास, देव डी, रॉकफोर्ड, जैसी फ़िल्मों में चाईल्डहूड अफ़ेक्शन को दिखाया गया है. हालांकी सभी फ़िल्मों में ये प्यार शादी के अंजाम तक नहीं पहुंचा है, लेकिन इन फ़िल्मों के जरिए ये मैसेज़ जरुर दिया गया कि ये लगाव कितना मजबूत और लंबा टिकने वाला होता है.
अगर आपके बचपन में भी कोई क्रश या प्यार हो जिसे आपने अभी तक बयां नहीं किया हो तो देर मत कीजिए गर प्यार दोनो तरफ से है तो इसे शादी के अंजाम तक ले जाने का आईडिया बुरा नहीं है.
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