4) हाँ भी नरक, ना भी नरक!
सोच लीजिये आपने आज कोई फैसला लिया और पूरी दुनिया के साथ बाँटा| कुछ आपके फ़ैसले में हामी भरेंगे, कुछ उसका विरोध करेंगे| कोई बड़ी बात नहीं| लेकिन अगर थोड़े दिनों के बाद आपको लगा कि आपका फ़ैसला गलत था या आपने किसी भी कारण अपना मत बदल दिया तो यही लोग आपको शान्ति से जीने नहीं देंगे! आपसे सवाल-जवाब होंगे कि ऐसा क्यों किया, सोच कैसे बदल गयी, मन तो स्थिर होना चाहिए वगेरह वगेरह| ख़ास बात यह है कि आपके फैसलों और आपकी ज़िन्दगी का इन टिप्पणी करने वाले लोगों से कोई लेना-देना नहीं है पर यह बिन-बुलाये बाराती बन आपका बैंड बजा देंगे!