पुराणों और शास्त्रों के अनुसार ब्रह्मा, विष्णु और महेश सृष्टि के रचियेता,पालनकर्ता और संहारक है. सतयुग त्रेतायुग, द्वापर युग और कलियुग इन चार युगों के पूरा होने पर सृष्टि का एक चक्र पूरा हो जाता है.
इस चक्र के पूरा होने के बाद महादेव सृष्टि का संहार कर देते है.
संहार होने के बाद ब्रह्मा फिर से एक बार नए सिरे से सृष्टि की रचना करते है. भस्म शिव द्वारा सृष्टि के संहार का प्रतीक होता है.