कृष्णकवच और तुलसी का शील भंग होने की वजह से अब दैत्यराज शंखचूड़ को मारने में शिव को कोई मुश्किल नहीं हुई.
शंखचूड़ की मृत्यु के बाद उसके शरीर की राख से शंख की उत्त्पति हुई. विष्णु के वरदान की वजह से शंखचूड़ का जन्म हुआ था इसलिए विष्णु और लक्ष्मी को शंख प्रिय होता है और इन दोनों तथा अन्य देवी देवताओं के पूजन में शंख को पवित्र माना जाता है.
भगवान् शिव ने शंखचूड़ का वध किया था इसलिए शिव की उपासना में शंख का उपयोग वर्जित है.