उसने तीनों लोकों पर आक्रमण कर पृथ्वी,स्वर्ग और पाताल पर अपना आधिपत्य जमा लिया और देवताओं और मनुष्यों को प्रताड़ित करने लगा.त्रस्त होकर सभी देवता श्री हरी विष्णु के पास आये और उनसे दैत्यराज शंखचूड़ के अत्याचारों से निजात दिलवाने की प्रार्थना की.
लेकिन विष्णु के वरदान की वजह से शंखचूड़ का जन्म हुआ था इसलिए वो उसका वध नहीं कर सकते थे.
विष्णु ने देवताओं को भगवान शंकर की सहायता लेने को कहा. भगवान् शंकर ने देवताओं की विनती मान शंखचूड़ से युद्ध किया लेकिन स्वयं महादेव भी शंखचूड़ को हराने में सक्षम नहीं हो सके. कृष्णकवच और पत्नी तुलसी के तेज़ की वजह से बार बार कोशिश करने के बाद भी शिव शंखचूड़ का वध नहीं कर पा रहे थे.
शिव ने शंखचूड़ के वध के लिए विष्णु की सहायता मांगी.