नवग्रहों में सातवें ग्रह और न्याय के देवता माने जानेवाले शनि देव का नाम सुनते ही लोगों के मन में एक डर पैदा हो जाता है.
ऐसा कहा जाता है कि शनिदेव जिस इंसान पर नज़र डालते हैं उसके बुरे दिन शुरू हो जाते हैं.
ऐसे में यहां सवाल उठता है कि आखिर शनिदेव की नज़र को अशुभ क्यों माना जाता है?
और क्या वजह है कि शनिदेव अपने भक्तों को नहीं देखते?
शनिदेव की नज़रों की क्रूरता के पीछे एक कहानी सुनने को मिलती है, जो बताती है कि शनिदेव अपने भक्तों को नहीं देखते. आप ज़रूर जानना चाहेंगे.
श्राप का है नतीजा
शनिदेव भगवान सूर्य और छाया संवर्णा के पुत्र हैं.
ब्रह्म पुराण की एक कथा के मुताबिक बचपन से ही शनि देव भगवान श्रीकृष्ण के परम भक्त थे. वह श्रीकृष्ण की भक्ति में सदैव लीन रहा करते थे. वयस्क होने पर शनिदेव के पिता ने चित्ररथ की कन्या से उनका विवाह करा दिया था. शनिदेव की पत्नी सती-साध्वी और परम तेजस्विनी थी.
एक रात वह ऋतु स्नान करके पुत्र पाने की इच्छा से शनिदेव के पास पहुंची, लेकिन शनिदेव श्रीकृष्ण के ध्यान में इस कदर खोए हुए थे कि उन्हे इस संसार की कोई सुध नहीं थी, इसलिए शनिदेव की नज़र उसपर नहीं पड़ी. शनिदेव उनकी तरफ एक बार देख ले इसके लिए उनकी पत्नी ने बहुत देर तक इंतज़ार किया और इंतज़ार करते-करते थक गई. जिससे उनका ऋतुकाल भी निष्फल हो गया.
गुस्से में आकर शनिदेव की पत्नी ने उन्हे श्राप दे दिया कि पत्नी होने पर भी आपने मुझे कभी प्यार भरी नज़रों से नहीं देखा. अब आप अपनी नज़रों से जिसे भी देखेंगे उसका कुछ न कुछ बुरा हो जाएगा.
यही वजह है कि शनि की नज़रों में आज भी दोष माना जाता है.
श्राप के बाद से सिर नीचा रखने लगे शनिदेव
श्रीकृष्ण की भक्ति से ध्यान टूटने पर शनिदेव ने अपनी पत्नी को मनाने की काफी कोशिश की.
गुस्सा शांत होने पर उनकी पत्नी को अपनी भूल पर पश्चाताप भी हुआ, लेकिन श्राप को वापस लेने की शक्ति उनमे नहीं थी. इस वजह से पत्नी से श्राप मिलने के बाद से शनिदेव अपना सिर नीचे करके रहने लगे.
शनि की दृष्टि से गणेश का सिर धड़ से हुआ था अलग
शनि की अशुभ नज़र से जुड़ी एक और कहानी सुनने को मिलती है.
ऐसा भी कहा जाता है कि भगवान गणेश के जन्म के बाद जब सभी देवी-देवता उनके दर्शन करने के लिए कैलाश पहुंचे, तब शनिदेव भी वहां पहुंचे, लेकिन अपनी आंखों पर पट्टी बांधकर.
उनका इस तरह से अपनी आंखों पर पट्टी बांधकर आना माता पार्वती को अच्छा नहीं लग रहा था.
इसलिए पार्वती के बार-बार कहने पर शनिदेव ने अपने आंखों से पट्टी उतार ली. पट्टी हटाने के बाद जैसे ही शनिदेव की नज़र गणेश पर पड़ी, वैसे ही गणेश जी की गर्दन धड़ से अलग हो गई. यह भी एक वजह है जिससे शनिदेव की नज़रों को बुरा माना जाता है.
बहरहाल ये शनिदेव की पत्नी के श्राप का ही नतीजा है कि आज भी वे अपने भक्तों को नहीं देखते, क्योंकि शनिदेव नहीं चाहते कि उनकी अशुभ नज़र उनके भक्तों पर पड़े और उनका कोई अहित हो.
यही वजह है शनिदेव अपने भक्तों को नहीं देखते