सेक्स हमारे देश में एक ऐसा विषय है जिसके बारे खुल कर बात करना तो दूर सोचना भी गन्दा काम माना जाता हैं जबकि हर कोई यह भूल जाता हैं कि इसी गंदे काम के कारण लोग इस दुनिया में आये हैं.
पहले के वक़्त में तो यह किसी पिशाच से कम नहीं था लेकिन अभी के समय में लोगो की सोच इस विषय को लेकर बदल रही हैं. अब सेक्स सिर्फ एक वासना पूर्ति के साधन के रूप में न लेकर एक शिक्षा के रूप में लोगो तक पहुचाया जा रहा हैं.
भारत में स्कूली शिक्षा के साथ ही सेक्स शिक्षा को भी पाठ्यक्रम में शामिल करने के लिए कदम उठाएं गए, लेकिन आज भी देश के लोगों को सेक्स शिक्षा को अपनाना रास नहीं आया. इसलिए लोगों ने यौन शिक्षा का अच्छा खासा विरोध जताया.
बदलते भारत के साथ ही कई क्षेत्रों में भी परिवर्तन हुए है, इन्हीं परिवर्तनों के चलते कुछ परिवर्तन सही दिशा में हुए तो कुछ गलत दिशा में.इन्हीं परिवर्तनों के चलते सरकार ने हाल ही के दिनों में शिक्षा में भी अमूल-चूल परिर्वतन करने की कोशिश की.
इन परिवर्तनों के तहत सरकार स्कू्ली बच्चों की शिक्षा में छठीं क्लास से सेक्स शिक्षा को भी शामिल करना चाहती है, लेकिन भारत में सेक्स शिक्षा को लेकर खूब बवाल मचाया गया.
लोगों का मानना है कि स्कूलों में सेक्स एजुकेशन होने से भारतीय सभ्यता और संस्कृति पर नकारात्मक असर पड़ेगा.
क्या आप जानते हैं आज के समय में सेक्स एजुकेशन का बहुत महत्व है.
यदि स्कूलों में सेक्स एजुकेशन शुरू कर दी जाए तो इसका किशोरों को पथभ्रष्ट होने से रोका जा सकता है, लेकिन इसके लिए जरूरी है बच्चों को सही रूप में पूर्ण सेक्स शिक्षा दी जाए. स्कूलों में यौन शिक्षा के माध्यम से न सिर्फ भविष्य में यौन संक्रमित बीमारियों से बचा जा सकता है बल्कि असुरक्षित यौन संबंधों से भी बचा जा सकता है.
बच्चों को सही उम्र में सेक्स एजुकेशन देने से उनके शारीरिक विकास के साथ ही मानसिक विकास भी पूरी तरह से होता है.
आंकड़ों पर गौर करें तो वर्तमान में 27 से 30 फीसदी होने वाले एबॉर्शन किशोरी लड़कियां करवाती हैं, यदि उन्हें सही रूप में यौन शिक्षा दी जाएगी तो वे गर्भपात के जंजाल से आसानी से बच सकती हैं यानी बिन ब्याहें मां बनने से बच सकती हैं.
बढ़ती उम्र में बच्चे नई-नई चीजों को जानने के इच्छुक रहते हैं और आज के टैक्नोलॉजी वर्ल्ड़ में कुछ भी जानना नामुमकिन नहीं. यदि बच्चों को सही समय पर सही रूप में यौन शिक्षा नहीं दी जाएगी तो अपने प्रश्नों का हल ढूंढ़ने के लिए वे इधर-उधर के रास्ते अख्तियार करेंगे जो कि बच्चों के मानसिक विकास में बाधा डाल सकते हैं. भारत में सेक्स शिक्षा लागू होने के साथ-साथ अभिभावकों को भी इस ओर जागरूक होना होगा और अपने बच्चों को सही उम्र में यौन शिक्षा से सरोकार कराना होगा, तभी सेक्स शिक्षा का सकारात्मक प्रभाव दिखाई पड़ेंगे.
आज आप अपने परिवार या आसपास के लोगों को देखेंगे तो आप पाएंगे कि वे मैच्योर होने के बावजूद सेक्स के बारे में बात करने से कतराते हैं. इसका एकमात्र कारण यही है कि आज भी लोग सेक्स जैसे मुद्दे पर बात करने से कतराते हैं और उन्हें सेक्स के बारे में पूर्ण जानकारी भी नहीं है, ऐसा सिर्फ इसलिए है क्योंकि अब तक भारत में सेक्स शिक्षा को स्कूलों में लागू करने के बारे में सोचा भी नहीं गया था.
इन सारी बातों से यह तो ज्ञात हैं कि सेक्स एजुकेशन हमारे लिए और हमारे समाज के लिए कितना ज़रूरी हैं लेकिन उससे कही अधिक वह हमारे बच्चों के लिए भी ज़रूरी हैं.