रमजान का महीना मुस्लिम धर्म का सबसे पवित्र महीना माना जाता है। इस महीने में मुस्लिम धर्म को मानने वाले लोग रोजा रखते हैं और खुदा की इबादत करते हैं।
इस महीने को इसलिए भी काफी पवित्र माना जाता है क्योंकि इस महीने में पैगम्बर मोहम्मद की तरफ से कुरान उतरना शुरु हुआ था। इस महीने रोजा रखने से मनुष्य के सारे पाप उतर जाते हैं।
रोजा रखने के नियम काफी सख्त होते हैं इस दौरान आपको कुछ भी खाने-पीने की मनाही होती है। विश्व के सभी इस्लामिक देशों के लोग रोजा रखते हैं। आइए जानते हैं रमजान के महीने में रोजा रखने से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में।
१. इस्लाम में चांद का बड़ा महत्व होता है। रमजान की शुरुआत चांद देखकर होती है रोजा के दौरान आप दिन निकलने से पहले और सूरज ढ़लने के बाद रोजा खोल सकते हैं। दिन का व्रत खजूर खाकर और पानी पीकर तोड़ा जाता है।
२. रमजान की शुरुआत चांद को देखकर की जाती है और इसका आखिरी दिन ईद-उल-फित्तर के रुप में मनाया जाता है। रमजान का कैलेंडर चांद को देखकर निर्धारित किया जाता है जबकि सिविल कैलेंडर सूर्य पर आधारित होता है।
३. रमजान का महीना अंग्रेजी महीनें से 11-12 दिन पहले शुरु हो जाता है क्योंकि चांद का साल (लूनर ईयर) सूरज के साल(सोलर ईयर) से छोटा होता है। रमजान का महीना मुस्लिम धर्म का पांचवा महत्वपूर्ण स्तंभ होता है।
४. रमजान के महीने में अलग-अलग देशों में नियम भी बदल दिए जाते हैं। मिस्र में इस महीने में घड़ीयों को एक घंटा आगे कर दिया जाता है ताकि शाम के समय रोजा जल्दी खोला जा सके। साथ ही ऑफिस में काम करने का समय भी कम कर दिया जाता है ताकि लोगों को अल्लाह कि इबादत का समय अधिक मिल सके।
५. बहुत से मुस्लिम देश जहां दिन बड़ा होता है और चांद देर से निकलता है वे मक्का के समय के अनुसार रोजा रखते हैं। इस महीने खरीदारी ज्यादा होती है इसलिए चीजों का दाम बढ़ जाता है। शाम को सूरज डूबने के बाद रोजा खोलना इफत्तार कहलाता है और सुबह सूरज उगने से पहले कुछ खाकर रोजा की शुरुआत करना सहरी कहलाता है।
६. रोजा के सख्त नियमों में कुछ छूट भी दी जाती है। अगर आप यात्रा कर रहे हैं या अस्वस्थ है तो बाद में रोजा रख सकते हैं। यदि आप गलती से कुछ खा लेते हैं या आपको जबर्दस्ती कुछ खिला दिया जाता है तो भी रोजा नहीं टूटता है। गर्भवती महिलाओं और बूढ़े लोगों को रोजा ना रखने की छूट होती है।
७. रमजान के दिनों में लड़ाई-झगड़े को देखने तक की मनाही होती है। इस महीने में ज्यादा से ज्यादा अल्लाह की इबादत में समय बिताना अच्छा माना जाता है। रमजान के पाक महीने को शब-ए- कदर कहा जाता है और माना जाता है कि इसी दिन अल्लाह ने अपने बंदों को कुरान-ए-शरीफ से नवाजा था। रोजा के दिनों में रात को 9 बजे विशेष नमाज भी अदा की जाती है।
रमजान के दौरान अल्लाह का नाम लेना, कलाम पढ़ना, दान करना जरुरी होता है। साथ ही नशे और सेक्स से दूर रहना होता है, मारपीट करना, हाथ-पैर का गलत इस्तेमाल करना बुरा माना जाता है। इस दौरान माना जाता है जन्नत की दुआ करने वाले हर व्यक्ति को जन्नत मिलती है। इस महीने में गरीबों में जकात और फितरी दी जाती है जो कि एक तरह का दान होता है। इस तरह रमजान का पावन महीने मुस्लिमों में प्यार और पवित्रता को बढ़ाता है।
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