राम अपने प्रिय भाई को मृत्युदंड देने की बात सोच भी नहीं सकते थे परंतु यम के सामने की गयी प्रतिज्ञा तोड़ भी नहीं सकते थे.
जब ऋषि दुर्वासा को ये पता चला तो उन्होंने सुझाव दिया कि राम यदि लक्ष्मण का त्याग कर दे तो वो मृत्यु सामान ही होगा. जब लक्ष्मण को ये पता चला तो उन्होंने भगवान राम से कहा कि राम के द्वारा त्याग करने से अच्छा तो मृत्यु का वरण करना ही है.
यह कहकर लक्ष्मण ने जलसमाधि लेकर अपने प्राण त्याग दिए.
इस तरह अपने भाई की प्रतिज्ञा का पालन करने और अयोध्या को ऋषि के कोप से बचाने के लिए लक्ष्मण ने स्वयं का बलिदान कर दिया.