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अय्याशी, आपसी कलह और वह अन्य तीन बातें जिनकी वजह से हारें हैं राजपूत ! उतर भारत की दिवार थे कभी राजपूत और राजपुताना

एक समय था जब राजपूतों की वजह से भारत तो सुरक्षित था ही और साथ ही साथ देश की तरफ आँख उठाने वाले, ऐसा करने का ख्याल सपने में भी नहीं सोचते थे.

लेकिन एक समय ऐसा आया जब मुगलों ने इन्हीं राजपूतों से सत्ता छीन ली और देखते ही देखते भारत गुलाम हो गया था.

तो आज हम आपके सामने कुछ ऐसे कारणों को लेकर आये हैं, जिनकी वजह से राजपूत और राजपुताना को हार का सामना करना पड़ा था-

1. आपस में हुई कलह

राजपूत और राजपुताना की हार का मुख्य कारण आपसी कलह रहा है. सब राजा आपस में ही लड़ने लगे थे और कोई भी किसी की मदद के लिए आगे नहीं आ रहा था. यहाँ तक कि कुछ राजाओं ने तो अपने ही रिश्तेदारों को हराने तक का चक्रव्यूह रच दिया था.

2. अरब और तुर्की सेना ज्यादा सक्षम थीं

अरब और तुर्की से जो लोग भारत में हमला करने आये उनकी सेना, राजपूतों की तुलना में अधिक सक्षम थीं. अरब की सेना एक तो संख्या में भी अधिक आ रही थीं और दूसरा उनके सैनिकों के पास युद्ध लड़ने का अनुभव भी कुछ ज्यादा ही था.

3. राजपूत लोग अय्याश होते जा रहे थे

राजपूत और राजपुताना की हार का एक अन्य मुख्य कारण इनका अहंकार भी था. इनको यकीन था कि कोई भी इनसे बेहतर हो नहीं सकता है. साथ ही साथ मुख्य राजा (सभी नहीं) अय्याश होते जा रहे थे. शराब और औरत के नशे में यह भूल गये थे कि दुश्मन इनसे ज्यादा ताकतवर होता जा रहा है.

4. मार्गदर्शन की कमी

एक समय था जब राजपूत लोग ब्राह्मणों की मदद से अपने साम्राज्य का पताका चारों दिशाओं में फैला रहे थे. बाद में इन लोगों ने ब्राह्मणों से ही मार्गदर्शन लेना बंद कर दिया था. सभी के सामने ब्राह्मणों का अपमान हो रहा था. इसका उदाहारण पालीवाल ब्राह्मण हैं, जिनको सरेआम कुलधरा में अपमानित किया गया और राजपूत लोग देखते रहे थे.

5. गुप्तचर हो गये थे खत्म

समुद्रगुप्त और चाणक्य की सफलता का राज उनके गुप्तचर ही थे. यहाँ तक की राजा पारस ने भी अपनी विशाल गुप्तचर सेना बना रखी थी. बाद में यह गुप्तचर जैसी संस्था ही खत्म हो गयी और उसके साथ ही राजपूत लोगों की हार भी हुई थी.

तो अब आप बोलेंगे कि अब आज के समय में यह सब बताना व्यर्थ ही है.

असल में राजपूत और राजपुताना को फिर से एक बार संगठित होने की आवश्यकता है ताकि भारत देश को फिर से विश्व गुरू बनाया जा सके.

अभी भी भारत पर कई खतरे मंडरा रहे हैं जिनका सामना भारतीय राजपूत और राजपुताना को ही सर्वप्रथम करना होगा.

Chandra Kant S

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Chandra Kant S

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