आपने अक्सर सुना होगा कि हवाई जहाज के पायलटों को हवाई यात्रा के दौरान शराब के नशे में पाए जाने पर उनको दंडित किया जाता है.
इसके लिए उन पर कई उड़ानों का प्रतिबंध भी लगाया जाता है. ताकि वो भविष्य में ऐसी गलती दोबारा न करे. पायलट नशे की हालत में विमान को कंट्रोल रूम से मिलने वाले संकेतो को सुनने और समझने में गलती तो कर ही सकता है जिससे दुर्घटना की संभावना रहती है.
इसके अलावा हवाई यात्रा के दौरान शराब पीने की सख्त मनाही के पीछे इसका एक ओर पहलू भी है.
दरअसल, ऐसा करने के पीछे एक खास वजह है. केवल हवाई जहाज उड़ाने वाले ही नहीं बल्कि स्पेस में रहने वाले एस्ट्रोनॉट्स पर भी शराब पीने का प्रतिबंध होता है. सरकारी एजेंसियां स्पेस में शराब पीने की अनुमति ही नहीं देती हैं.
ऐसा इसलिए होता है क्योंकि यह माना जाता है कि अधिक ऊंचाई पर उड़ान के दौरान शराब पीने से ज्यादा नशा होता है. ऐसी स्थिति में यदि कोई पायलट शराब पीकर विमान उड़ाएगा तो उस उससे दुर्घटना की संभावना बहुत अधिक बढ़ जाएगी.
साथ ही बताया जाता है कि हवाई यात्रा के दौरान शराब का संबंध थिंक-ड्रिंक इफेक्ट से भी जुड़ा है. अधिक ऊंचाई पर बिना पिए भी हैंगओवर महसूस हो सकता है. जो लोग हवाई यात्रा के दौरान शराब पीते है उनको ज्यादा नशा होता है, क्योंकि थिंक-ड्रिंक इफेक्ट की वजह से अगर लोग सोचेंगे कि वे नशे में हैं तो और ज्यादा नशे वाला बर्ताव करेंगे.
इतना ही नहीं, किसी भी अंतरिक्ष यात्री को माउथवॉश, परफ्यूम या आफ्टरशेव जैसी चीजें तक नहीं दी जाती जिसमें एल्कोहल मिला हो. खुली बियर स्पेस स्टेशन की चीजों को बर्बाद कर सकती है.
यही कारण है कि हवाई यात्रा के दौरान शराब पीने की मनाही है – उड़ान भरने से 12 घंटे पहले तक पायलट को शराब पीने की अनुमति नहीं होती. शराब पीने से पायलट की ही नहीं बल्कि उसमें यात्रा कर रहे सैकड़ों यात्रियों की भी सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है.