फांसी की सजा – हमारे देश के कानून के अनुसार हर जघन्य अपराध के लिए फांसी की सजा मुकर्रर की जाती है।
यह तो हम सब ने ही फिल्मों में देखा है होगा कि फांसी देने के लिए एक जल्लाद रखा जाता है और एक डॉक्टर की मौजूदगी में फांसी दी जाती है। न्यायधीश का पत्र मिलते ही प्रतिनिधि अधिकारी फांसी की प्रक्रिया को शुरु कर देता है। फांसी के समय कुछ चुनिंदा लोगों को ही वहां रहने की इजाजत होती है।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि फांसी सूर्योदय से पहले ही क्यों दी जाती है। आइए आपको इसके पीछे छिपे कारण के बारे में बताते हैं।
प्रशासनिक कारण
जेल अधिकारियों की नज़र से देखें तो यह कार्य उनके लिए काफी बड़ा होता है और इसे सुबह होने से पहले इसलिए पूरा कर देते हैं ताकि दूसरे कैदी और काम पर कोई प्रभाव ना पड़े। अपराधी को फांसी देने से पहले उसका मेडिकल टेस्ट होता है और कई प्रकार की रजिस्ट्रेशन एंट्री भी की जाती है। इसके अलावा फांसी के बाद लाश को उसके परिवारजनो को सौंप दी जाती है। यही एक कारण है कि फांसी को सूर्योदय से पहले देना ज्यादा सहज माना जाता है।
नैतिक कारण
अपराधी को पूरा दिन इंतजार कराना मानवता नहीं है क्योंकि इससे उसके दिमाग पर बुरा असर पड़ सकता है। इसलिए उसे सुबह जल्दी उठा कर नित्य कर्म करवाते ही फांसी दे दी जाती है। इस तरह उसके परिवारजनों को अंतिम संस्कार करने के लिए पूरा समय भी मिल जाता है।
सामाजिक कारण
फांसी की सजा होना बहुत बडी खबर होती है और इसका समाज पर बुरा प्रभाव ना पडे इसलिए फांसी सूर्योदय से पहले दे दी जाती है। इस बारे में लोग जब तक अपनी प्रतिक्रिया देते हैं तब तक काफी समय गुज़र चुका होता है।
बस, इन्हीं कारणों से फांसी की सज़ा सूर्योदय से पहले दी जाती है। इसके अलावा आजकल मीडिया हर बात को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाता है। ऐसी परिस्थिति से बचने के लिए भी सूर्योदय से पहले फांसी की सज़ा दे देना सही है।