विदेशी धरती के प्रदर्शन ने दागदार कर दी छवि
महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में ही भारतीय टीम टेस्ट रैंकिंग में शीर्ष स्थान पर पहुंची थी। धोनी के नेतृत्व में टीम इंडिया ने घरेलू जमीन पर तो बेहतरीन प्रदर्शन किया, लेकिन विदेशी पिचों पर टीम की असफलता ने उन्हें दोषी बना दिया। धोनी का खराब समय 2011 से शुरू हुआ जब इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया में भारतीय टीम का व्हाइट वॉश हुआ। इसके बाद दक्षिण अफ्रीका और न्यूजीलैंड के दौरे पर भी टीम इंडिया पूरी तरह फ्लॉप रही। यहां से धोनी का कद देशवासियों की नजर में घटता गया। जनता यह भूल गई कि धोनी ने अपनी कप्तानी में 2011 विश्व कप खिताब दिलाया। टेस्ट में टीम को शीर्ष रैंकिंग पर पहुंचाया। आखिरकार, खराब फॉर्म और आलोचनाओं से घिरे धोनी ने 2015 में विश्व कप से पहले ऑस्ट्रेलिया दौरे पर टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ले लिया।