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शनिदेव को तेल क्यों चढ़ाया जाता हैं?

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जब भी शनिदेव का नाम आता हैं, तब लोगों के मन में एक भय उत्पन्न होने लगता हैं कि कही उनके जीवन में कोई संकट तो नहीं मंडरा रहा हैं.

परन्तु यह बात सर्वथा झूठ हैं कि भगवान् शनि लोगों का हमेशा बुरा ही करते हैं.

हिन्दू मान्यताओं के अनुसार शनिदेव एक न्यायाधीश के रूप में देखे जाते हैं, जो उन लोगों को ही सज़ा देते हैं जिन्होंने  कोई गलत काम किया हैं. कहा जाता हैं कि जिस भी व्यक्ति पर शनि की वक्रद्रष्टि पड़ जाती हैं, उसकी ज़िन्दगी में कई तरह के कष्ट आने लगते हैं लेकिन उस व्यक्ति के जीवन में आये संकट की वजह वह स्वयं ही होता हैं. भगवान् शनि कभी निर्दोषों का अहित नहीं करते हैं, भगवान शनि गलत व्यक्ति को उनके द्वारा की गयी भूल की सज़ा देने के लिए ही संकट के रूप में उसके जीवन में आते हैं.

भगवान् शनि के इसी रूप से लोग भयभीत होते हैं और उनकी पूजा-अर्चना करके उन्हें प्रसन्न रखने की कोशिश करते हैं. हम सब ने देखा ही होगा कि किसी भी मंदिर में शनिदेव के रूप में रखे काले पत्थर पर सभी लोग तेल चढ़ाते हैं और उनकी उपासना करते हैं.

लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान् शनि पर तेल क्यों चढ़ाया जाता हैं?

तो आईएं हम आप को शनिदेव पर तेल चढ़ाने के पीछे की वजह से जुड़ी रामायण काल की एक रोचक कहानी बताते हैं.

जब भगवान् राम और रावण के बीच चल रहा युद्ध समाप्त हो गया था और श्रीराम माता सीता के साथ अपनी पूरी सेना ले आकर अयोध्या लौट आये थे तब एक रोज़ भगवान हनुमान ध्यान में बैठे थे. इसी दौर में शनिदेव अपनी शक्ति के चलते अहंकारी हो गए थे लेकिन शनिदेव भगवान हनुमान द्वारा युद्ध में दिखाएं पराक्रम की कई कहानिया सुनकर ईर्ष्या भाव से ग्रसित हो गए थे.

अपनी सत्ता को मजबूत करने के उद्देश्य शनि ने तय किया कि वह श्री हनुमान को युद्ध में हराकर अपनी शक्ति की प्रभुता सुनिश्चित कर लेंगे. अपने अहंकार और शक्ति के लोभ के चलते शनिदेव ने ध्यानमग्न हनुमान को युद्ध करने उनके पास पहुचकर उन्हें ललकारा. ध्यान भंग होते ही श्री हनुमान ने शनिदेव से विनम्रतापूर्वक कहा कि उन्हें युद्ध नहीं करना हैं लेकिन शनिदेव उनकी बात नहीं माने और उनसे अभद्रता करने लगे. कई बार समझाने पर भी जब शनि नहीं माने तब भगवान हनुमान को मजबूरन शनि से युद्ध करना पड़ा और उस युद्ध का परिणाम यह हुआ कि शनिदेव उसमे बुरी तरह पराजित हुए.

अपनी हार स्वीकारते हुए शनिदेव ने हनुमान जी से क्षमायाचना की और अपनी ईर्ष्या और अहंकार की बात स्वीकारी.

हनुमान ने भी शनिदेव को युद्ध में लगी चोट पर तेल लगाकर क्षमा कर दिया और कहा कि अब से जो भी व्यक्ति तुम पर तेल चढ़ाकर सच्चे मन से तुम्हारी उपासना करेगा उसे जीवन में कष्टों से मुक्ति मिलेगी.

कहा जाता हैं कि इसी घटना के बाद से शनिदेव को कष्ट दूर करने और न्याय का देवता कहा जाने लगा और उनकी पूजा में उन पर तेल चढ़ाया जाने लगा.

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