आपने अक्सर मंदिरों में भोलेनाथ की प्रतिमा के सामने नंदी की प्रतिमा देखी होगी?
कहा जाता है कि इस दुनिया में जहाँ पर भी भोलेनाथ की प्रतिमा विराजमान है उसके ठीक सामने नंदी की मूर्ति भी विराजमान होते है।
जिस प्रकार भगवान शिव की पूजा और दर्शन का महत्व है उसी प्रकार नंदी का दर्शन भी किया जाता है। हालाँकि हम सभी भगवान शिव के साथ नंदी की पूजा करने का महत्व है।
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि भोलेनाथ की मूर्ति के ठीक सामने हमेशा नंदी की मूर्ति क्यों विराजमान होती है?
दरअसल इसके पीछे एक पौराणिक कथा है.
इस कथा के अनुसार, शिलाद मुनि पर ब्रह्मचारी हो जाने के कारण वंश को आगे बढ़ाने का संकट आ गया था, तो इस संकट से निजात पाने के लिए इंद्र ने शिलाद मुनि को भोलेनाथ की तपस्या करने की सलाह दी।
उसके बाद शिलाद मुनि संतान की कामना के लिए भगवान शंकर की कठोर तपस्या में लग गये।
इस कठोर साधना से प्रसन्न होकर भोलेनाथ ने वरदान दिया कि वे स्वयं उनके पुत्र के रूप में प्रकट होंगे। कुछ समय पश्चात् शिलाद मुनि के यहां नंदी प्रकट हुए। जिसके बाद भगवान शिव ने नंदी का अभिषेक करवाया और नंदी नंदीश्वर बन गए। बाद में नंदी का विवाह मरुतों की पुत्री सुयशा के साथ किया गया। भगवान शंकर ने नंदी को वरदान दिया कि जहाँ पर नंदी का निवास होगा वहां उनका भी निवास होगा।
कहा जाता है कि तभी से हर शिव मंदिर में शिवजी के सामने नंदी की मूर्ति की स्थापना की जाती है।
भगवान शिव महान तपस्वी है इसलिए वे हमेशा समाधी में बैठे रहते है। कहा जाता है कि अगर अपनी मनोकामना नंदी के कान में कही जाए तो वे भगवान शिव तक उसे जरुर पहुंचाते है। इसलिए नंदी भगवान शिव के परम भक्त हुए इसलिए हर शिव मंदिर में नंदी की स्थापना जरुर की जाती है, ताकि भक्त अपनी बातें भगवान शिव तक पहुंचा सके।
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