भगवान् शिव भी राजा भोज की प्रार्थना सुनकर उनसे बात करने आये और उनसे कहा कि तुम्हे यहाँ नहीं आना चाहियें था वत्स. तुम्हे मक्केश्वेर (जिसे आज हम मक्का के नाम से जानते हैं) के बजाये उज्जैन महाकालेश्वेर को पूजना चाहियें. इस स्थान पर अब एक राक्षस त्रिपुरासुर, जिसका मैंने वध किया था, उसके मानने वालें लोगों को असुरराज बाली से संरक्षण प्राप्त हो रहा हैं और इस समुदाय का प्रमुख “महा-मद” (मद से भरा हुआ व्यक्ति जिसे आज मोहम्मद भी कहते हैं) उत्पात मचा रहा हैं इसलिए तुम इस मलेच्छ जगह से चले जाओ.
भगवान् शिव की बात सुनकर राजा भोज जब लौटने लगे तब “महा-मद” वहा आ गया और राजा भोज से कहा कि आप का आर्यधर्म विश्व का सर्वश्रेष्ट धर्म हैं, लेकिन मैं आपके शिव की मदद से ही एक ऐसे धर्म की स्थापना करूँगा जो अपनी क्रूरता के लिए जाना जायेगा. इसे मानने वालो को अपना लिंगाछेदन (खतना) कर के, बिना तिलक और बिना मुछों के सिर्फ दाढ़ी रखना अनिवार्य होगा. मेरा यह सम्प्रदाय उन्हें बहुत प्रिय होगा जिसे कुछ भी खाना (मांस) स्वीकार्य होगा और अपनी इस बात का यकीन दिलाने के लिए मैं आपके देश में आकर अपने मूंछ के बाल को त्याग दूँगा.