मुसलमान टेररिस्ट – दोस्तों क्या आपने कभी सोचा है कि मुसलमान ही टेररिस्ट ज्यादा क्यों बनते हैं?
चलिए आज हम इस सवाल का जवाब जानते हैं कि आखिर मुसलमान टेररिस्ट होते है.
दुनिया में मानो मुसलमान शब्द को आतंकवाद की नहीं परिभाषा माना जाने लगा है. देश ही नहीं दुनियाभर में आतंकवाद का मसला बढ़ता जा रहा है. अकसर खबरों में आता रहता है कि मुसलमान युवक को आईएसआई में शामिल होते पकड़ा गया या जब कभी भी कोई आतंकवादी हमला होता है उसमें अधिकतर मुजरिम मुसलमान ही निकलते हैं.
आतंकवादी संगठन भी ऐसे ही लोगों को अपना निशाना बनाते हैं और उनसे संपर्क कर अपने गुट में शामिल होने की बात कहते हैं.
न्यूज़ में कई बार आया है कि हैदराबाद के पढ़े-लिखे सॉफ्टवेयर इंजीनियर्स से आतंकवादी संगठनों ने अपने गुट में शामिल होने की बात कही है. मानसिक विकार से ग्रस्त शिक्षित लड़के भी इसके जाल में फंस जाते हैं या फिर किसी कुंठा के कारण वो इस दलदल का हिस्सा बन जाते हैं.
आपको जॉनअब्राहिम और कैटरीना कैफ की मूवी न्यूयॉर्क तो याद ही होगी.
उस फिल्म में जॉन को सिर्फ मुस्लिम होने के कारण विदेशी पुलिस द्वारा खूब टॉर्चर किया जाता है और इस वजह से जॉन आतंकवादी जैसी गतिविधियों में शामिल हो जाते हैं. वो अपने ऊपर किए गए अत्याचार का बदला लेने के लिए ऐसा करते हैं.
कई लोग जॉन की तरह अपने ऊपर किए गए अत्याचार का बदला लेने के लिए ऐसा करते हैं जबकि कुछ लोगों के आतंकवाद से जुड़ने की वजह हमारा समाज है.
जी हां, दुनियाभर में ईस्लाम धर्म के नाम पर कई आतंकवादी हमले किए जाते रहे हैं और इसमें सबसे ज्यादा बार पाकिस्तान का नाम आता है. पाकिस्तान मुस्लिम देश है इसलिए इस मामले में मुस्लिमों को निशाना बनाया जाता है. लोगों को लगता है कि सभी मुस्लिम आतंकवादी होते हैं.
इस सोच के कारण लोग मुस्लिमों के साथ ज्यादा दोस्ती नहीं करते हैं और विदेशों में तो उनके साथ काफी बदसलूकी भी की जाती है. आए दिन खबरों में आता रहता है कि आज मुस्लिम महिला का हिजाब खींच लिया गया या उनकी चेकिंग की गई या फिर एयरपोर्ट पर मुस्लिम को रोक लिया गया.
जब किसी मुस्लिम के साथ ऐसा किया जाता है तो उसके मन में समाज के प्रति घृणा पैदा हो जाती है. दिमागी रूप से मजबूत इंसान तो ऐसी परिस्थिति में संभल जाता है लेकिन मानसिक विकार से ग्रस्त लोग आतंकवाद के जाल में फंस जाते हैं.
यही है वजहें मुसलमान टेररिस्ट बनाते है – दोस्तों, अगर हमें आतंकवाद को खत्म करना है तो हमे सबसे पहले मुस्लिमों के प्रति अपने मन से बुरे भाव या शक को दूर करना होगा. हर मुस्लिम गलत या आतंकवादी नहीं होता. हर इंसान अपनी माँ के पेट से बुराई या हथियार चलाना नहीं सीख कर अता. यह सभी समाज और हमारी सोच का नतीजा है जो शायद बचपन में ही मुस्लिमों के दिमाग में ये बात डाल देता है कि वह दुनिया के लिए एक खतरा है. और कई लोग अपने बच्चों को उन से दूर रखते हैं और इसी कारण वह भेदभाव का भी शिकार हो जाते हैं.