भारत की सबसे आकर्षक नगरी मुंबई जिसको मुंबई मायानगरी कहते है – सपनो का शहर भी कहा जाता है.
मुंबई मायानगरी एक ऐसी जगह है जहाँ इंसान एक बार पहुँच जाए तो वहां से कभी लौटना नहीं चाहता है. ऐसी क्या चीज है जो लोगो को मुंबई की तरह खिचती और मुंबई में रोक के रखती है! यह शब्दों में बयां कर पाना मुश्किल लगता है
लेकिन एक एहसास है कि कुछ तो ऐसा है इस जगह में कि लोग यहाँ आते ही यही के हो जाते है.
तो आइये जानते है कैसे बनी मुंबई मायानगरी !
मुंबई एक समय में राक्षसों की नगरी हुआ करती थी.
यह जिस राक्षस की नगरी थी वह महाशक्तिशाली राक्षस था. यह राक्षस पूरी तरह से भोग विलास और वासना में डूबा रहता था.
एक बार एक राजकुमारी उसके राज से गुजर रही थी. उस सुंदर राजकुमारी को देखकर राक्षस को उससे आकर्षण हो गया और उसको हरण कर अपने महल में बंदी बनाकर रख लिया.
लेकिन राजकुमारी को उस राक्षस से कोई लेना देना नहीं था.
राक्षस को उस राजकुमारी से प्रेम हो गया और राक्षस उसको अपनी नगरी में रखना चाहता था. लेकिन राजकुमारी पर उस राक्षस का कोई असर नहीं हुआ. राजकुमारी घर जाने की जिद्ध में खाना पीना सब छोड़ दिया.
राजकुमारी के खाना पीना छोड़ने से राक्षस परेशान होकर राजकुमारी के पास गया. तब राजकुमारी राक्षस से अपने घर जाने की जिद्ध करने लगी. राक्षस जब भी राजकुमारी के पास जाता तो राजकुमारी अपने घर जाने की जिद्ध करती. उसकी जिद राक्षस पूरी नहीं कर सकता था, जिसका राक्षस को दुःख भी था. क्योंकि राक्षस अपने प्रेम से कारण मजबूर था.
ऐसा करते करते उस राजकुमारी ने अपना प्राण त्याग दिये. राजकुमारी के मरने से राक्षस दुखी होकर शंकर भगवान का कठोर तप करने लगा जिससे भगवान प्रसन्न होकर प्रकट हुए और वरदान मांगने को कहा.
तब राक्षस ने अपनी नगरी को मायानगरी में बदलने का वरदान माँगा कि यहाँ जो भी एक बार आये वो लौटकर वापस नहीं जाना चाहिए और भोज विलास वासना में लिप्त रह कर अपना पूरा जीवन बिताये.
तब से मुंबई मायानगरी में बदल गई और यहाँ आने वाला हर इंसान मुंबई मायानगरी के भोग, विलास और वासना से भरपूर जीवन को सहजता से स्वीकार करता गया.
आज भी जो एक बार मुंबई आता है, वो लौटकर वापस नहीं जाता. मुंबई मायानगरी का मोह – मुंबई मायानगरी की माया उसे बांधकर रखती है, जाने नहीं देती.
वो शख्स मुंबई महानगरी के मोह और माया को अपने अन्दर समां देता है और मुंबई का हो जाता है!